महंगाई झेलना चाहते हैं या मंदी? अपनी तकलीफ चुन लीजिए. फिलहाल तो दोनों ही बढ़ने वाली हैं. रिजर्व बैंक के अनुसार, अगले तीन माह में जेबतराश महंगाई बढ़ेगी. और इस साल की दूसरी तिमाही में विकास दर 4.5 फीसद इस ढलान का अंतिम छोर नहीं है. अगले छह माह में मंदी गहराएगी. इस साल पांच फीसद की विकास दर भी नामुमकिन है. बचत, खपत और निवेश में कमी से बनी यह मंदी...
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वायु प्रदूषण को रोकने के लिए फसल चक्र बदलने की जरूरत
हाल के समय में उत्तर भारत और विशेषकर दिल्ली एनसीआर वायु प्रदूषण की चपेट में है। अक्टूबर-नवंबर में हवा की गुणवत्ता न्यूनतम स्तर तक पहुंच गई है। मीडिया रिपोर्टों में इसका बड़ा कारण पराली ( धान फसल के ठंडल) जलाना बताया गया है, और इससे दिल्ली और आसपास के लोगों के स्वास्थ्य पर खासा प्रभाव पड़ रहा है। सिस्टम आफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फारकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR-India) की वेबसाइट...
More »मोदी सरकार की खराब नीतियों और बुरे फैसलों की वजह से किसान बदहाल
भारत के किसान कुछ राहत की सांस ले सकते हैं, क्योंकि क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) के तीखे विरोध ने मोदी सरकार को इस विनाशकारी कदम से पीछे हटने को मजबूर कर दिया है. पहले से ही खस्ताहाल अर्थव्यवस्था के लिए आरसीईपी किसी बुरे विचार जैसा था और खेती-किसानी जैसे संकटग्रस्त क्षेत्रों के लिए यह बर्बादी का वारंट था. पिछले हफ्ते राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की लीक हुई रिपोर्ट के मुताबिक बीते...
More »क्या सचमुच सरकार ने किसानों को फसल की लागत का ड्योढ़ा मूल्य दिया है?
आर्थिक मामलों की काबीना समिति की हाल की एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक साल 2019-20 में बिक्री के लिए तैयार खरीफ की तमाम फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य उत्पादन लागत से कम से कम 50 फीसद ज्यादा घोषित किया गया है. नये बजट के पेश होने के दो दिन पहले जारी इस आधिकारिक घोषणा से ऐसा जान पड़ता है मानो केंद्र की नयी सरकार ने अपना वादा निभाया है और किसानों को उनकी फसल...
More »जीरो बजट कृषि का विचार नोटबंदी की तरह घातक है- राजू शेट्टी
शून्य बजट प्राकृतिक कृषि को लेकर एक स्वाभाविक आकर्षण है क्योंकि यह कृषि जैसे मुश्किल व्यवसाय को सरलता से प्रकट करता है। शून्य बजट प्राकृतिक कृषि में जोखिम कम होता है और पूंजी की आवश्यकता नहीं के बराबर होती है। इसे विदर्भ के किसान नेता सुभाष पालेकर द्वारा गढ़ा गया है जिन्हें 2016 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। शून्य बजट प्राकृतिक कृषि को वैसा ही स्थान मिला...
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