लखनऊ, जागरण ब्यूरो : सरकार के गन्ने के समर्थन मूल्य में 40 रुपए की रिकार्ड बढ़ोत्तारी करने के अलावा खुले बाजार में चीनी मूल्य की स्थिरता ने मिल मालिकों का जायका बिगाड़ दिया है। उहापोह में फंसा प्रबंधन मिल चलाने से कतरा रहा है और नुकसान गन्ना किसानों को झेलना पड़ रहा है। गत वर्ष गन्ना किसानों को अपनी मर्जी से 260-80 रुपए प्रति कुंतल तक भुगतान देना मिल मालिकों के...
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हरियाणा में गन्ने का एसएपी यूपी से ज्यादा
हरियाणा सरकार ने नए सीजन के लिए गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) घोषित कर दिया है। हरियाणा में गन्ने का एसएपी उत्तर प्रदेश से ज्यादा होगा। गत दिवस उत्तर प्रदेश सरकार ने 200-210 रुपये प्रति क्विटंल एसएपी तय किया था। इसके बाद पंजाब सरकार पर भी एसएपी बढ़ाने का दबाव बढ़ गया है। पंजाब सरकार द्वारा अगले सप्ताह में एसएपी तय करने की संभावना है। हरियाणा सरकार ने एसएपी 210-220...
More »यूपी में गन्ने के एसएपी में 40रुपये की रिकॉर्ड बढ़त
चालू पेराई सत्र (2010-11) के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ने के राज्य परामर्शित मूल्य (एसएपी) में 40 रुपये प्रति क्विंटल की रिकॉर्ड बढ़ोतरी कर दी है। इसके चलते राज्य में अगैती प्रजाति के लिए गन्ने का एसएपी 210 रुपये, सामान्य प्रजाति के लिए 205 रुपये और अनुपयुक्त प्रजाति के लएि 200 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। गन्ने के मूल्य में किसी भी राज्य या केंद्र सरकार ने यह अभी...
More »तीन सौ रुपये गन्ना मूल्य नहीं तो होगा आंदोलन
बिजनौर । वर्तमान गन्ना पेराई सीजन में चीनी मिलें किसानों को तीन सौ रुपये प्रति कुंतल के हिसाब से गन्ना मूल्य दें। अगर चीनी मिले ऐसा नहीं करेंगी और पेराई सीजन आरंभ करने में देरी करेंगी, तो भारतीय किसान यूनियन सरकार एवं चीनी मिलों के खिलाफ आंदोलन छेड़ेगी। यह घोषणा भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने बुधवार दोपहर दो बजे ग्राम रसीदपुर गढ़ी में आयोजित पत्रकार वार्ता में...
More »कोल्हू में पिसीं यूपी की चीनी मिल! -- सिद्घार्थ कलहंस
गन्ने की पेराई उत्तर प्रदेश में अभी शुरू भी नहीं हो सकी है और चीनी मिल मालिक मुसीबत में फंसते नजर आ रहे हैं। देसी-विदेशी बाजारों में चीनी की कीमतें घट रही हैं, लेकिन गन्ना किसान उन पर इस साल भी ज्यादा कीमत देने का दबाव बना रहे हैं। रही-सही कसर कोल्हू मालिकों ने पूरी कर दी है, जो किसानों को मुंह मांगे भाव दे रहे हैं। दरअसल राज्य के किसान पिछले...
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