SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 150

कितने बदल रहे हैं हमारे गांव-- आर विक्रम सिंह

समस्याएं चिह्नित करना एक बात है, समाधान के रास्ते खोजना दूसरी बात। हमारे गांवों में अशिक्षा है, बेरोजगारी है, बीमारियां हैं, जमीनों के विवाद, मुकदमे हैं। जात-पांत की सामाजिक समस्याएं बरकरार हैं। हां, शोषण का वह रंग अब नहीं है, जो प्रेमचंद के उपन्यासों में मुखर होता है। कथित उच्च वर्ग में श्रम से अरुचि, दलित वर्ग में शिक्षा से अरुचि भी वहीं की वहीं है। नगरों की ओर पलायन...

More »

पीछे छूट गया रोजगार का सवाल- हरिवंश चतुर्वेदी

आर्थिक उदारीकरण के दौर में जिन राज्यों के आर्थिक विकास की दर तेज रही और जिन्हें समय-समय पर एक मॉडल की तरह पेश किया गया, वहां अब सामाजिक- आर्थिक स्थिति विस्फोटक हो रही है। पिछले एक वर्ष में हरियाणा के जाटों, गुजरात के पटेलों, महाराष्ट्र की मराठा जातियों और आंध्र प्रदेश में कापू जाति के लोगों ने खुद को अन्य पिछड़ी जातियों में शामिल किए जाने की मांग को लेकर...

More »

किसानों के मन का बजट-- के सी त्यागी

बजट का इंतजार सबको है। खासकर ग्रामीण और कृषक वर्गों में इसकी बेसब्री ज्यादा है। उनके लिए यह बजट ‘रक्षक' या ‘भक्षक' की भूमिका निभाने वाला होगा, क्योंकि पिछले दो बजट में किसानों के लिए कुछ खास नहीं था। आम चुनाव के दौरान किए गए वादों ने उनमें खासा उत्साह भरा था, लेकिन धरातल अनछुआ रह गया। फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के अलावा 50 फीसदी लाभकारी मूल्य देने की...

More »

किसानों के लिए लाएं अच्छे दिन- ज्योतिरादित्य सिधिया

हमारे देश की नींव दो लोगों के कंधे पर खड़ी है, इनमें प्रथम जवान हैं दूसरे किसान हैं। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने नारा दिया था- जय जवान, जय किसान। वर्तमान सरकार के पिछले 18 महीने के कार्यकाल में कृषि के क्षेत्र को बहुत ही बेरहमी से कुचला गया है। कृषि भारतीय अर्थव्यस्था की रीढ़ है। न केवल जीडीपी में इसका 16 प्रतिशत का योगदान है, बल्कि लगभग 50...

More »

मिटे इंडिया और भारत का अंतर-- विश्वनाथ सचदेव

किसान नेता शरद जोशी ने ही पहली बार ‘इंडिया' और ‘भारत' का नारा दिया था. यह नारा देकर उन्होंने शहरी भारत व ग्रामीण भारत के अंतर को उजागर किया और इस अंतर को मिटाने की जरूरत को भी रेखांकित किया. सार्वभौम, समाजवादी पंथ-निरपेक्ष जनतांत्रिक गणतंत्र की घोषणा करनेवाले आमुख के बाद हमारे संविधान की शुरुआत जिन शब्दों से होती है, वह है ‘इंडिया जो कि भारत है.' हमारे संविधान निर्माताओं ने...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close