वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को 2020-21 का आम बजट पेश करेंगी। इससे पहले जुलाई 2019 में बजट पेश किया गया था। उस वक्त बजट पेश करते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा था, ''महात्मा गांधी ने कहा था भारत की आत्मा इसके गांवों में बसती है। हमारी सरकार का केंद्र बिंदू भी गांव, गरीब और किसान है।'' सरकार के केंद्र बिंदू में गांव का होना इस लिए भी जरूरी...
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झाबुआ के हलमा को गहराई से देखने की कोशिश कीजिए, वर्ल्ड बैंक उथला नज़र आएगा
वह भीषण गर्मी का महीना था, साल 1998, तारीख थी 11 मई, उस दिन पोखरण में ‘बुद्ध मुस्कराए’ थे. इस मुस्कुराहट का स्वाभाविक परिणाम यह हुआ कि दुनिया के तमाम ताकतवर देश मुस्कराना भूल गए. आनन-फानन में कई प्रतिबंध भारत पर लगा दिए गए. अमेरिकी दबाव इस कदर था कि भारत के पुराने दोस्त रूस ने भी हमें क्रायोजनिक इंजन देने से मना कर दिया. उस समय भारत के प्रधानमंत्री...
More »देश में नया श्रम कानून लागू, मगर मजदूरों के हाथ खाली
"नये श्रम कानून में सरकार अगर देश में मजदूरों की 178 रुपए कम से कम मजदूरी तय कर रही है, तो सीमेंट की बोरी ढोने वाले हम जैसे मजदूरों को दिन भर काम के बाद 250 रुपए मजदूरी मिलती है, अब आप बताइये इतनी महंगाई में 250 रुपए दिहाड़ी पर घर चलता है क्या?, तो 178 रुपए पर क्या कहेंगे," यह कहना है मजदूर दल्ला मीना का, जो राजस्थान के...
More »गंगा-कोसी हुई हाहाकारी, बांधों की स्थिति नाजुक, नवगछिया शहर पर मंडराने लगा बाढ़ का खतरा
नवगछिया : अनुमंडल में बाढ़ की स्थिति भयावह होती जा रही है. विभिन्न तटबंधों की स्थिति दयनीय है. तटबंधों को बचाने में ग्रामीण और पदाधिकारी जुटे हैं. अब कोसी क्षेत्र की हालत खराब हो गयी है. कोसी नदी के कई तटबंधों की स्थिति सोमवार को नाजुक बन गयी. नवगछिया में गंगा खतरे के निशान से 154 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. सोमवार कोजल स्तर में 14 सेंटीमीटर की वृद्धि हुई...
More »पानी के बहाव का आपदा बन जाना-- दिनेश मिश्र
बहते पानी में अगर थोड़ी देर खड़ा रहना पड़ जाए, तो पैरों के नीचे से जमीन खिसकने लगती है, और जब जमीन सिर्फ रेत की बनी हो, तो पानी में संभलना बहुत मुश्किल हो जाता है। जमीन खिसकने का यह मुहावरा ऐसे ही किसी बाढ़ वाले क्षेत्र में ईजाद हुआ होगा। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक बिहार में 12 जिले बाढ़ से त्रस्त हैं, 921 ग्राम पंचायतों में एक...
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