SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 2103

उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में जलवायु परिवर्तन का कहर

जनचौक, 06 अगस्त अंधाधुंध सड़क निर्माण और जल विद्युत परियोजनाएं उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को बढ़ा रही हैं जो हाल के वर्षों में बादल फटने और अचानक बाढ़ आने (flash floods) के रूप में प्रकट हो रहा है। हर गुजरते साल के साथ, आपदाओं की आवृत्ति और परिमाण दोनों और अधिक गंभीर होते जा रहे हैं। यह कैसे जमीनी स्तर पर लोगों के जीवन को प्रभावित कर...

More »

उज्ज्वला योजना के 4.13 करोड़ लाभार्थियों ने एक बार भी सिलेंडर रिफिल नहीं कराया: केंद्र

द वायर, 02 अगस्त केंद्र सरकार ने संसद में बताया कि पिछले पांच सालों में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के 7.67 करोड़ लाभाथिर्यों ने एक ही बार सिलेंडर भरवाया. वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान कुल 30.53 करोड घरेलू ग्राहकों में से 2.11 करोड़ ने कोई सिलेंडर रिफिल नहीं कराया जबकि 2.91 करोड़ ने केवल एक बार सिलेंडर रिफिल कराया. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने राज्यसभा को एक सवाल के लिखित...

More »

जनगणना न 2021 में हुई, न 2022 में होगी- सरकार ने ‘इसे रोक दिया है और अभी कोई समयसीमा तय नहीं’

दिप्रिन्ट,26 जुलाई  केंद्र सरकार के सूत्रों ने मंगलवार को दिप्रिंट को बताया कि जनगणना—जो पिछले साल होनी थी लेकिन कोविड महामारी के कारण टाल दी गई थी—को इस साल भी रोक दिया गया है. साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि ‘अभी तक यह तय नहीं किया गया है कि जनगणना कब कराई जा सकती है. सूत्रों के मुताबिक, जनगणना से पहले कई आवश्यक प्रक्रियाओं के लिए समयसीमा के विस्तार—जिसमें प्रशासनिक सीमाओं...

More »

बाढ़ को असम से इतनी मोहब्बत क्यों ?

हर बरस की बात है यहां. बारिश का सीजन आता है. बाढ़ की खबरें आती हैं. मौत के आंकड़े आते हैं और, अंत में ‘राहत की घोषणा’ होती है! घोषणा आते ही सरकार की वाहवाही शुरू हो जाती हैं. इस वाहवाही की गूंज के पीछे छिप जाती है आम लोगों की ‘चीत्कार’...ऐसी ही कहानी है ‘असम’ की. उत्तर–पूर्वी भारत का एक राज्य जो मई और जून के महीनों में बाढ़ से जूझता...

More »

कूड़ा बीनने से अमेज़ॉन तक: ट्रांसजेंडर संध्या की कहानी

न्यूज़लॉन्ड्री,24 जुलाई  21 वर्षीय संध्या का जन्म बिहार के नालंदा जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था. उनकी परवरिश भी वहीं हुई. अन्य बच्चों की तरह ही पले-बढ़े ‘संदीप’ को 10वीं कक्षा में अपनी असली पहचान का अहसास हुआ, क्योंकि वे खुद को संध्या के रूप में पहचानने लगे थे. उनके लंबे बाल और हाथों के बढ़े नाखूनों को देखकर स्कूल में बच्चे और अध्यापक उन्हें अलग-अलग नामों से...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close