-जनपथ, सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश की बेंच के समक्ष आज दो तरह की याचिकाओं पर सुनवाई तय थी। पहली श्रेणी में वे याचिकाएं थीं जो तीन किसान कानूनों को रद्द करने के लिए लगायी गयी थीं। दूसरे किस्म की याचिकाएं वे थीं जो दिल्ली में किसानों का धरना समाप्त करवाने के अनुरोध से लगायी गयी थीं। कोर्ट ने किसान कानूनों को चुनौती देने वाली याचिका सुनने से इनकार कर दिया...
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आर्टिकल 19: लड़ते-खपते किसान पर क्यों चुप हैं अपने-अपने मोहल्लों के भगवान?
-जनपथ, ऑस्ट्रेलिया में भारत के एक मुकाबले के बाद कप्तान विराट कोहली ड्रेसिंग रूम की तरफ जा रहे होते हैं। दर्शक दीर्घा में बैठी एक महिला जोर से चिल्लाती है- “विराट कोहली तुम कहां हो? किसान एकता जिंदाबाद.. भारतीय किसानों का समर्थन करो.. वर्ना तुम टॉयलेट पेपर से ज्यादा कुछ नहीं..।” इस टिप्पणी को सुनने के बाद किसी की भी अंतरात्मा जाग उठेगी। वह महिला भारतीय मूल की एक सामान्य महिला थी,...
More »हरियाणा में टिड्डियों ने खरीफ़ की फसलों को पहुंचाया नुकसान, किसान सभा ने की मुआवजे की मांग
-जनपथ, राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश के बाद अब हरियाणा में भी टिड्डियों ने दस्तक दी है. राजस्थान का बॉर्डर पार कर हरियाणा के महेन्द्रगढ़, रेवाड़ी और झज्जर जिले में पहुंचे टिड्डी दलों ने हमला कर खरीफ की फसलों (कपास, ज्वार-बाजरा, तिल, ग्वार) को भारी मात्रा में नुकसान पहुंचाया है. इन जिलों के किसान खेतों में डेरा डाले हुए हैं और जब भी कोई टिड्डी दल आता है तो थाली, पीपे और...
More »क्या किसानों को तबाह कर के पूरी की जाएगी भारतमाला परियोजना?
-जनपथ, इस पूंजीवादी मॉडल की बेतरतीब योजनाओं में भारत की बुनियाद का तिनका-तिनका धरा पर बिखरता जा रहा है। किसान नेमत का नहीं बल्कि सत्ता की नीयत का मारा है। भारतमाला परियोजना के तहत बन रही सड़कें किसानों में बगावत के सुर पैदा कर रही हैं। इस योजना के तहत छह लेन का एक हाइवे गुजरात के जामनगर से पंजाब के अमृतसर तक बन रहा है, फिर आगे हिमालयी राज्यों तक...
More »प्रवासी मेहनकशों का लॉकडाउन में हुआ उत्पीड़न और भुला दिए गए कुछ नैतिक सवाल
-जनपथ, बारह साल की जमलो मकदम के परिवार को हम क्या समझा सकते हैं? क्या विवरण और स्पष्टीकरण दे सकते हैं उसके अंत का? जमलो, एक आदिवासी बालिका, तेलंगाना में मिर्चों के खेतों में काम करती थी। मूल रूप से वह छत्तीसगढ़ की थी। जब लॉकडाउन हुआ तो उसका काम बंद पड़ गया। निर्वाह के लिए कोई रास्ता, कोई आय नहीं थी, तो कुछ सहकर्मियों के साथ वह वापिस अपने गांव को...
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