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न्यूज क्लिपिंग्स् | हरियाणा में टिड्डियों ने खरीफ़ की फसलों को पहुंचाया नुकसान, किसान सभा ने की मुआवजे की मांग

हरियाणा में टिड्डियों ने खरीफ़ की फसलों को पहुंचाया नुकसान, किसान सभा ने की मुआवजे की मांग

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published Published on Jul 2, 2020   modified Modified on Jul 3, 2020

-जनपथ, 

राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश के बाद अब हरियाणा में भी टिड्डियों ने दस्तक दी है. राजस्थान का बॉर्डर पार कर हरियाणा के महेन्द्रगढ़, रेवाड़ी और झज्जर जिले में पहुंचे टिड्डी दलों ने हमला कर खरीफ की फसलों (कपास, ज्वार-बाजरा, तिल, ग्वार) को भारी मात्रा में नुकसान पहुंचाया है. इन जिलों के किसान खेतों में डेरा डाले हुए हैं और जब भी कोई टिड्डी दल आता है तो थाली, पीपे और टिन इत्यादि से शोर कर अपने खेतों से टिड्डियां भगा रहे हैं. 

झज्जर जिले के खुड्डन गांव में अपने खेत में टिड्डियां उड़ा रहे जयश्री पहलवान ने बताया, “हमारे गांव में बीती रात ही ये टिड्डियां पहुंची हैं. सुबह 6 बजे जब आकाश में टिड्डियों का रेवड़ उड़ता दिखाई दिया तो सारे गांव के किसान पीपे, टिन वगैरा उठाकर अपने खेतों की तरफ भागे. पिछले एक घंटे से हम लगातार टिड्डियां उड़ा रहे हैं. जितनी उड़ती हैं उतनी ही और आकर बैठ जाती हैं. मैं 58 वर्ष का हो चुका हूं, लेकिन पहली बार इतनी टिड्डियां एक साथ देख रहा हूं. इससे पहले कभी हमारी फसलें टिड्डियों ने बर्बाद नहीं की.”

गांव के लगभग सभी खेतों में खरीफ फसलों की बुआई हो चुकी है. किसानों ने इस बार मुख्यत ज्वार, बाजरा और कपास की फसल की बिजाई की है. अपने कपास के खेत में टिड्डियां उड़ा रही बिमला देवी कहती हैं, “ये टिड्डियां छोटी फसलों को ज्यादा निशाना बना रही हैं. अभी बाजरा छोटा है तो बाजरे की पत्तियों को तो बिल्कुल ही नहीं छोड़ रहीं. ये कपास के फूल वाले हिस्से को भी खा रही हैं. अगेती बुवाई के कारण बड़ी हुई ज्वार को नहीं खा रही हैं इसलिए ज्वार में सबसे कम नुकसान है. अगर टिड्डियों का एक और दल आ गया तो मुश्किल ही है कि बाजरे का एक दाना भी इस बार नसीब हो.”

ग्रामीण डेटा एक्सपर्ट शम्भू घटक के मुताबिक हरियाणा में राजस्थान से उड़कर पहुंची इन टिड्डियों को रेगिस्तानी टिड्डी कहते हैं. यह एक ट्रांस-बॉर्डर कीट है जो दल बनाकर सैकड़ों किलोमीटर तक उड़ सकता है. ये रेगिस्तानी टिड्डियां किसी भी देश की खाद्य सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा हो सकती हैं क्योंकि एक टिड्डी प्रतिदिन अपने खुद के वजन के बराबर ही भोजन खा सकती है, जोकि हर दिन लगभग दो ग्राम के बराबर है. एक वर्ग किलोमीटर के आकार के टिड्डियों के झुंड में लगभग 4 करोड़ टिड्डियां होती हैं, जो एक दिन में लगभग 35,000 लोगों जितना भोजन खा सकती हैं.

उनके अनुसार यह आखिरी हमला नहीं था. जुलाई तक टिड्डी दलों के कई सफल हमले देखे जा सकते हैं. राजस्थान के साथ-साथ उत्तर भारत में मध्यप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, बिहार और उड़ीसा में पश्चिम की ओर बढ़ने और मॉनसून से जुड़ी बदलती हवाओं के कारण जुलाई तक टिड्डियों के हमले बढ़ने की आशंका है.

शम्भू कहते हैं, “सरकार को टिड्डियों के इन हमलों को रोकने की कोशिश इसी समय करनी चाहिए क्योंकि इस समय टिड्डियां प्रजनन करना शुरू कर देती हैं और उनकी उड़ने की क्षमता कम हो जाती है.”

गांव के किसानों को टिड्डियों से संबंधित कृषि विभाग या मौसम विभाग की कोई भी चेतावनी या पूर्व सूचना नहीं प्राप्त हुई. किसान नवदीप सिंह बताते हैं, “राजस्थान के इलाकों में टिड्डियों के हमले की खबरें हम टीवी पर जरूर देख रहे थे, लेकिन हमें हरियाणा में टिड्डियों के हमले का कोई अंदाजा नहीं था और न ही किसी सरकारी आदमी या विभाग ने आकर हमें इस बात की चेतावनी दी. पहले पता रहता तो कम से कम किसान टिड्डियों से लड़ने के कुछ जतन करते, स्प्रे वगैरह का छिड़काव करते.”

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


मनदीप पुनिया, https://junputh.com/open-space/locust-attack-in-haryana-leaves-khareef-crops-damaged/


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