कोई दस एक साल पहले शांतिनिकेतन जाना हुआ। वहां मेरी मुलाकात वाइस चांसलर के सचिव का काम कर रहे बौद्ध भिक्षु से हुई। वे त्रिपुरा से थे, जहां से शांतिनिकेतन की स्थापना के बाद छात्रों का आना लगातार जारी था। कुछ ही दिन बाद मैं मणिपुर गया, जहां की नृत्य और संगीत परंपरा चमत्कृत करने वाली है। मुझे बताया गया कि टैगोर कभी मणिपुर आए तो नहीं, लेकिन त्रिपुरा महाराज...
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आंदोलनों की निरंतरता के दस्तावेज-- शतरुद्र प्रकाश
किसी भी दौर में सरकार की ताकत से लड़ना मजाक नहीं होता। लेकिन यह भी सच है कि सरकार और उसके विरोध के साथ ही लोकतंत्र का विकास हुआ है और भविष्य में भी होता रहेगा। इस वजह से सरकार की मुखालफत आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी 1971, 1975 और 1977 में थी। क्या वाकई पूरी दुनिया में ऐसी कोई शख्सियत थी, जिसने कानून की अदालत में और...
More »बेरोजगारी का दंश, जाति के तर्क--- ए. श्रीनिवासन
बीते शनिवार को मशहूर दलित लेखक और एक्टिविस्ट कांचा इलैया को हैदराबाद के उनके घर में नजरबंद कर दिया गया। आंध्र और तेलंगाना पुलिस ने सुरक्षात्मक वजहों से यह नजरबंदी की, ताकि इलैया को अभिव्यक्ति की आजादी विषय पर विजयवाड़ा में भाषण देने जाने से रोका जा सके। अपने लेखन से धार्मिक भावनाएं आहत करने के लिए कांचा इलैया को जान से मारने की कई धमकियां मिल चुकी हैं। इलैया...
More »कौन सुनता है उनकी बात --- बद्री नारायण
भारतीय लोकतंत्र को एक सक्षम लोकतंत्र माना जाता है, लेकिन यह अंतर्विरोधों से भी भरा हुआ है। इसकी एक विडंबना यह है कि भारतीय जनता का एक वर्ग जहां अति मुखर है, वहीं उसका एक बड़ा वर्ग ‘मूक व चुप समुदाय' के रूप में समाज में रहता है। भारतीय समाज का एक भाग जहां सोशल मीडिया, मीडिया के अन्य रूपों, सभा-सोसायटी में बोल रहा होता है, वहीं एक बड़ा भाग...
More »महिला आरक्षण पर हो गंभीर चर्चा - डॉ. एके वर्मा
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महिला आरक्षण विधेयक को लोकसभा में पारित कराने के लिए पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर इस मुद्दे को एक बार फिर राष्ट्रीय विमर्श के केंद्र में लाने की कोशिश की है। इस विधेयक को राज्यसभा मार्च 2010 में पारित कर चुकी है, लेकिन लोकसभा से पारित होने की नौबत नहीं आ रही है। सोनिया गांधी के अनुसार मोदी को अपने दलीय बहुमत...
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