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नयी सरकार सहारा नहीं, साथी बने

अमर पिछले 42 सालों से ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के प्रति हमेशा कार्य करते रहे हैं. पहली बार सन् 1972 में इन्होंने इस क्षेत्र में बेहतरी के लिए कदम रखा और तब से लगातार गांव-पंचायतों के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं. पूर्वी चंपारण के निवासी आमर को लालबहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी, मसूरी द्वारा भूमि सुधार के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए मोमेंटो और प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया...

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खेती-किसानी के मुद्दे गायब हैं चुनाव से- महक सिंह

चुनाव के दौरान सांप्रदायिकता, क्षेत्रवाद और व्यक्तिवाद की बातें की जा रही हैं, पर गांव, खेती और 54 प्रतिशत जनता के मुद्दे गौण हैं। कृषि क्षेत्र में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), पूंजी निर्माण और कृषि निर्यात लगातार घटते जा रहे हैं। 1950-51 में जीडीपी में कृषि की भागीदारी 53.1 प्रतिशत थी, जो 2012-13 में घटकर 13.7 प्रतिशत रह गई। गांव-शहर तथा किसान-गैर किसान के बीच खाई बढ़ती जा रही है।...

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कब खत्म होगा पूर्वाचल के विकास का इंतजार - सदानंद शाही

लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में पूर्वी उत्तर प्रदेश में मतदान होना है। देश की सबसे चर्चित लोकसभा सीट बनारस में मतदान इसी दौर में होने जा रहा है। नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल की चुनावी टक्कर ने इस लोकसभा सीट को बेहद दिलचस्प बना दिया है और इसका शोर पूरे पूर्वी उत्तर प्रदेश में गूंज रहा है। पूर्वी उत्तर प्रदेश की राजनीति में कुछ क्षेत्रीय दलों की भागीदारी हो...

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इस विकास की कीमत- विनोद कुमार

हमारे देश का अभिजात तबका और शहरी मध्यम वर्ग उदारीकरण और नई औद्योगिक नीति का कमोबेश समर्थक है। और उसके पक्ष में दलीलें देता है। इसी तरह दक्षिणपंथी और मध्यवर्ती राजनीतिक दल- चाहे वह कांग्रेस हो, भाजपा हो या बसपा, राजद आदि- नई औद्योगिक नीति के बारे में लगभग मिलते-जुलते विचार रखते हैं। वामपंथी दल उदारीकरण और नई औद्योगिक नीति के बारे में हाल तक थोड़ी भिन्न भाषा का इस्तेमाल...

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किसने बनाया किसान को गरीब- कुसुमलता केडिया

भारत की हजारों वर्षों की जिस संपन्नता की बात की जाती है, वह मुख्यतया किसानों, शिल्पियों और व्यापारियों पर टिकी थी। राजकोष में आने वाले धन का सबसे बड़ा हिस्सा किसानों से प्राप्त होता था। मनु-स्मृति, विष्णुधर्मसूत्र, गौतमधर्मसूत्र आदि में स्पष्ट व्यवस्था है कि सामान्यतया राज्य कृषि उत्पादन का बारहवां अंश लेगा। अगर कोई विशेष संकट उपस्थित हो तो आठवां या छठा अंश भी मांगा जा सकता है। कभी-कभार ही...

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