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कम बजट, चिकित्सकों की कमी के बीच दम तोड़ती उत्तराखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था

-इंडियास्पेंड, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में पुरोला ब्लॉक के बेस्टी गांव की रक्सीना देवी को इस साल 27 फरवरी को प्रसव पीड़ा हुई, घरवाले उन्हें करीब 10 किलोमीटर दूर स्थित पुरोला के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर गए जहां उन्होंने बच्चे को जन्म दिया। लेकिन इस दौरान काफी रक्तस्त्राव होने के कारण रक्सीना देवी को देहरादून के लिए रेफर किया गया। "हमें बताया कि नौगॉव की एम्बुलेंस ख़राब होने के कारण बड़कोट से...

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अधिक बच्चे पैदा करने की शक्तियों जैसे जुमलों से गुमराह होने वाले मतदाताओं को इससे संबंधित आधिकारिक डेटा जरूरी देखने चाहिए!

अन्य धार्मिक समुदायों के पुरुषों की तुलना में मुस्लिम पुरुषों द्वारा बच्चे पैदा करने को अक्सर एक राजनैतिक प्रोपैगेंडा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है और चुनाव से ठीक पहले भारतीय बहुसंख्यक हिंदुओं से वोट प्राप्त करने के लिए एक विभाजनकारी प्रोपैगेंडा बनाया जाता है. मानव विकास, रोजगार सृजन, और गरीबी में कमी जैसे सकारात्मक एजेंडे पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, चुनावों से ठीक पहले राजनीतिक अभियान अक्सर...

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वैश्विक महामारी कोरोना में शिक्षा से जुड़ी इन चर्चित घटनाओं ने खींचा दुनिया का ध्यान

-न्यूजक्लिक, इस वर्ष वैश्विक महामारी के दौरान कुछ देशों में स्कूली शिक्षा से जुड़ी चर्चित घटनाएं घटीं, जो कहीं रोचक बहस तो कहीं चिंता का सबब बन गईं। बात शुरू करते हैं हांगकांग से, जहां स्कूल परिसरों में बच्चों द्वारा किए जाने वाले राजनीतिक गीत-संगीत के आयोजन को लेकर वहां की सरकार और विशेष तौर पर शिक्षा मंत्रालय ने सख्त आपत्ति जताई थी और कहा था कि स्कूली बच्चों को चाहिए...

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भारत में कुपोषण का संकट और गहराया, देशभर में 33 लाख से अधिक बच्चे कुपोषित

-न्यूजलॉन्ड्री,  कुपोषण भारत की गम्भीरतम समस्याओं में एक है फिर भी इस समस्या पर सबसे कम ध्यान दिया गया है. आज भारत में दुनिया के सबसे अधिक अविकसित (4.66 करोड़) और कमजोर (2.55 करोड़) बच्चे मौजूद हैं. इसकी वजह से देश पर बीमारियों का बोझ बहुत ज्यादा है, हालांकि राष्ट्रीय परिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़े बताते है कि देश में कुपोषण की दर घटी है लेकिन न्यूनतम आमदनी वर्ग वाले परिवारों...

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बच्चों को वापस स्कूल भेजने को लेकर लगातार चिंता में हैं अभिभावक और इसकी वजह सिर्फ कोविड ही नहीं है

-द प्रिंट, कोरोना महामारी के कारण उत्तर प्रदेश में लम्बे समय की स्कूल बंदी की वजह से छोटे छात्रों के लिए काफी अरसे तक चलने वाली वर्चुअल स्टडी के उपरांत सिंतबर महीने में शारीरिक उपस्थिति वाली कक्षाओं के दुबारा शुरू होने के बाद नोएडा के 10 वर्षीय छात्र जनमेजय सिंह ने सिर्फ 10 दिनों के लिए कक्षाओं में भाग लिया. साल के अंत में एक तीसरी कोविड लहर की आशंकाओं ने...

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