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कोविड-19 से प्रभावित उत्तर और मध्य भारत के ग्रामीण क्षेत्र क्या अनदेखी का शिकार हुए हैं

-द वायर, कोविड-19 की दूसरी लहर ने कई ग्रामीण इलाकों में बहुत तबाही मचाई है. गांवों पर महामारी का प्रभाव सरकारी आंकड़ों में ज़्यादातर दिखाई नही देता है. मगर स्थानीय खबरें कुछ और ही दृश्य दिखाती हैं: गांवों में तेज़ी से फैले संक्रमण, ऊंची मृत्यु-दर, बहुत ही कम कोविड टेस्टिंग, और स्वास्थ्य-सेवाओं का ढह जाना. हमने मई 2021 के पहले तीन हफ्तों से कुल इकसठ (61) ऐसी खबरों को इकट्ठा किया, जिनमें...

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इंटरव्यू : लापरवाही से ब्लैक फंगस बना घातक

-आउटलुक, “कोविड-19 के बाद अब देश में ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ता जा रहा है। बेहद कम समय में न केवल लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं, इससे मौतों का सिलसिला भी बढ़ने लगा है। इससे बचाव के क्या तरीके हैं और इलाज के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इस पर आउटलुक के प्रशांत श्रीवास्तव ने दिल्ली स्थित लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के नाक-कान-गला रोग विभाग के प्रोफेसर...

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घृणा और हिंसा के प्रति समाज के रवैये से उसकी सभ्यता का स्तर मालूम होता है

-द वायर, कनाडा के ओंटारियो और भारत के नूह या गाज़ियाबाद या मथुरा का क्या रिश्ता है? यह रिश्ता हिंसा का है या हिंसा के विरोध का? बीते इतवार यानी 6 जून को कनाडा के ओंटारियो प्रदेश के लंदन शहर में एक 20 साल के कनाडावासी ने पाकिस्तानी मूल के एक परिवार के पांच लोगों पर अपनी गाड़ी चढ़ाकर उन्हें कुचल दिया. चार की मौत हो गई, एक मात्र जीवित बचा नौ...

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दवाओं के प्रति क्यों बढ़ रही है बैक्टीरिया, वायरस जैसे रोगजनक सूक्ष्मजीवों की प्रतिरोक्षक क्षमता

-गांव कनेक्शन, कोविड महामारी के रूप में समूचा विश्व भीषण स्वास्थ्य संकट से जूझ रहा है। इस बीच कई अन्य ऐसी बीमारियां उभरी हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए जोखिम बढ़ाए हुए हैं। एंटी-माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) स्वास्थ्य से जुड़ी एक ऐसी ही चुनौती है, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शीर्ष 10 स्वास्थ्य जोखिमों में से एक माना है। आशंका व्यक्त की जा रही है कि वर्ष 2050 तक हर साल...

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कोरकू आदिवासी बहुल मेलघाट की पहाड़ियों पर कोरोना से ज्यादा कोरोना के टीके से दहशत!

-न्यूजक्लिक, अमरावती (महाराष्ट्र): "यहां यदि आप कोरोना के बारे में बातचीत करेंगे तो पता चलेगा कि लोग सरकारी अस्पताल जाने को तैयार नहीं हैं। कारण यह है कि लोगों को लगता है कि उन्होंने कोरोना का इलाज यदि सरकारी अस्पताल में कराया तो डॉक्टर उन्हें जिला अस्पताल अमरावती भेज देंगे, जहां उनका कोई इलाज नहीं होगा और वहां उन्हें बीमार रखे-रखे मार दिया जाएगा। फिर मौत के बाद उनकी लाश तक घर...

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