भारत के हर सौ बच्चे में 42 बच्चे का वजन और 59 बच्चे का कद सामान्य से कम है- पांच साल पहले की हंगामा रिपोर्ट के इस तथ्य पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कुपोषण राष्ट्रीय कलंक है ! सवाल है कि कुपोषण के राष्ट्रीय कलंक से मुक्त होने में देश को कितनी कामयाबी मिली है ? नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे(एनएफएचएस) के नये आंकड़े जवाब जानने में आपकी कुछ मदद कर सकते...
More »SEARCH RESULT
जनसंख्या नियंत्रण की चुनौती-- बालमुकुंद ओझा
आज विश्व की जनसंख्या सात अरब से ज्यादा है। अकेले भारत की जनसंख्या सवा अरब से अधिक है। भारत विश्व का दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। आजादी के समय भारत की जनसंख्या तैंतीस करोड़ थी, जो आज चार गुना तक बढ़ गई है। परिवार नियोजन के कमजोर तरीकों, अशिक्षा, स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के अभाव, अंधविश्वास और विकासात्मक असंतुलन के चलते आबादी तेजी से बढ़ी है। संभावना है...
More »कारोबार बनाम आहार-- रमेश कुमार दूबे
वर्ष 2008 की विश्वव्यापी मंदी के बाद शुरू हुई खेती की जमीन के अधिग्रहण की प्रकिया भले ही अब मंद पड़ गई हो लेकिन वैश्विक खाद्य तंत्र पर कब्जा जमाने की प्रवृत्ति में कोई कमी नहीं आई है। छोटी जोतों और स्थानीय खाद्य बाजार की जगह वैश्विक खाद्य आपूर्ति तंत्र स्थापित करने की जो प्रक्रिया दूसरे विश्वयुद्ध के बाद यूरोप-अमेरिका में शुरू हुई थी वह अब तीसरी दुनिया को अपनी...
More »हरियाली से कुपोषण मिटाने की मुहिम--- बाबा मायाराम
मध्य प्रदेश के बैतूल और हरदा जिले में पिछले कुछ सालों से आदिवासी हरियाली अभियान चला रहे हैं। उनका नारा है- हरियाली लाएंगे, भुखमरी मिटाएंगे।इस मुहिम का उद्देश्य है, पहला तो यह कि आदिवासियों को कुपोषण से निजात मिल सके, उनकी आमदनी बढ़ सके और दूसरा, जंगलों को फिर से हरा-भरा बनाया जा सके, पर्यावरण सुधारा जा सके और जैव-विविधता का संवर्धन और संरक्षण किया जा सके। इससे मिट्टी...
More »दुनिया के नक्शे पर भुखमरी की बढ़ती आशंकाएं-- भारत डोगरा
संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम ने चेतावनी दी है कि विश्व के चार अलग-अलग हिस्सों में अकाल के कारण अगले छह महीनों में दो करोड़ लोगों की भूख से मौत हो सकती है। यह चार अति संवदेनशील क्षेत्र हैं- यमन, पूर्वोत्तर नाइजीरिया, दक्षिणी सूडान और पूर्वी अफ्रीका के कुछ भाग। विश्व खाद्य कार्यक्रम के प्रमुख अर्थशास्त्री आरिफ हुसैन ने कहा है कि पिछले 15 वर्ष में पहली बार ऐसी...
More »