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वैक्सीनेशन में यूपी का टॉप जिला रहा लखनऊ ‘टीका उत्सव’ के दौरान और उसके बाद क्यों पिछड़ गया

-द प्रिंट, राजधानी लखनऊ एक समय में टीकाकरण के मामले में उत्तर प्रदेश में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले जिले में शुमार रही थी, लेकिन 11 से 14 अप्रैल के बीच चार दिवसीय ‘टीका उत्सव’ के दौरान और उसके बाद से यहां कोविड-19 टीकाकरण में भारी गिरावट दर्ज की गई है. नवरात्रि के उपवास, जो 13 अप्रैल से शुरू हुए और 21 अप्रैल तक चलेंगे, की अवधि और कोविड संक्रमण के तेजी से...

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कूच बिहार हत्याएं: 'केंद्रीय सशस्त्र बलों ने वोटरों की एक कतार पर गोलियां चलाईं, भीड़ पर नहीं

-न्यूजलॉन्ड्री, बंगाल के कूच बिहार क्षेत्र की सीतलकुची विधानसभा के जोरपटकी गांव में मीडिया के खिलाफ ज़बरदस्त गुस्सा है. यहां 10 अप्रैल को केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवानों द्वारा की गई फायरिंग में चार व्यक्ति मारे गए थे, अब उनके परिवार एक बहुत बड़ा आरोप लगा रहे हैं. आरोप यह है कि केंद्र वाहिनी, यानी के केंद्रीय सशस्त्र बल, ने बूथ 126 पर वोट डालने के लिए लाइन में खड़े हुए गांव वालों...

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वाराणसी में कोरोना मौतों को लेकर राज्य सरकार और नगर निगम के आंकड़ों में अंतर

-द वायर, कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बीच उत्तर प्रदेश प्रशासन पर आरोप लगे हैं कि वे कोरोना वायरस महामारी से होने वाली मौतों का सही आंकड़ा नहीं बता रहे हैं. शवदाह गृहों, श्मशान घाटों, कब्रिस्तानों पर अपने प्रियजनों के अंतिम संस्कार के लिए लगीं लंबी लाइनें दर्शाती हैं कि सरकारी दावों की तुलना में समस्या और भयावह है. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी के शवदाह गृहों...

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छत्तीसगढ़ के एक गांव में 15 साल में 130 किडनी की बीमारी से मौतें हुईं, वजह कोई नहीं जानता

-द प्रिंट, छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के सुपेबेड़ा और 9 अन्य गावों में किडनी की क्रोनिक बीमारी से पिछले 15 सालों में होने वाली 130 मौतें एक पहेली बनी हुई हैं वहीं इस इलाके की करीब 10-15 हजार की आबादी इसकी जद में आ चुकी है. राज्य सरकार का कहना है कि रायपुर से करीब 250 किलोमीटर दूर देवभोग हीरा खदान के पास स्थित इन गांवों में फैली क्रोनिक किडनी डिसीज़ (सीकेडी)...

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उत्तराखंड सरकार ने पनबिजली परियोजनाओं द्वारा कम पानी छोड़ने की वकालत की थी

-द वायर, उत्तराखंड के चमोली जिले में बर्फ फिसलने से अचानक आई भीषण बाढ़ और इसके चलते व्यापक स्तर पर हुए नुकसान ने साल 2013 के केदारनाथ आपदा के घावों को हरा कर दिया है. केंद्र एवं राज्य सरकार के ऊपर सवाल उठ रहे हैं कि उन्होंने पिछली आपदाओं से सबक नहीं लिया और बेहद संवेदनशील हिमालयी क्षेत्रों में बेतरतीब ‘तथाकथित’ विकास कार्य जारी है, जिसका खामियाजा आम लोगों को ही भुगतना...

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