एक सामान्य भारतीय आज एक झूठी उम्मीद का शिकार बना बैठा है. एक तरफ अपनी कई आर्थिक मजबूतियों के बूते भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक चमकीला सितारा बनकर उभरता बताया जाता है. तो वहीं दूसरी ओर, देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक, पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी), से जनता की गाढ़ी कमाई के 10,000 करोड़ रुपये की लूट उसे एक डरावने यथार्थ का भान भी करा देती है. ऐसे...
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आशंकाओं के निराधार तर्क-- नंदन नीलेकणि
यह संभव नहीं कि चित और पट, दोनों आपकी ही हो। अर्थशास्त्री इसे ‘समझौता' कहते हैं। आप हर वक्त दो विरोधी मतों के बीच संतुलन बिठाते हैं। मसलन, 18वीं सदी के अंत तक या तो आप चार पहियों वाली घोड़ागाड़ी की सवारी कर सकते थे, जो धीरे-धीरे, लेकिन आपको एक सुविधाजनक यात्रा कराती, या फिर घोड़े की पीठ की सवारी करते थे, जिसमें आप मंजिल तक तेज तो पहुंच जाते,...
More »इस राज्य में महिलाओं और बच्चों के लिए बनेंगे पिंक टॉयलेट
बेंगलुरू। कर्नाटक में जल्द ही महिलाओं, लड़कियों के लिए पिंक टॉयलेट नजर आएंगे। नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स( NCPCR) ने यहां दिल्ली की तर्ज पर पिंक टॉयलेट्स बनाने को मंजूरी दे दी है। हरी झंडी मिलने के बाद कर्नाटक में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए बने कमीशन( KCPCR) ने राज्य में ऐसे टॉयलट बनाने का काम शुरू करने का फैसला कर लिया है। सूत्रों की मानें तो...
More »बोलने की आजादी बनाम बड़बोलापन-- रमेश दवे
लोकतंत्र सभ्यता, शील और मर्यादा के उत्कर्ष की सत्ता-प्रणाली है। पर कुछ वर्षों में लोकतंत्र के शील का आसन भाषण की अराजकता से गंदा किया गया है। यह सच है कि भारत के सर्वश्रेष्ठ और विश्व के सबसे बड़े संविधान ने अनेक दायित्व, मर्यादाएं, सीमाएं और अभिव्यक्ति की आजादी का नागरिक और नैतिक अधिकार भी दिया है, लेकिन बोलना अगर बड़बोलापन बन जाए, अभिव्यक्ति अगर विकृति बन जाए और संविधान...
More »पर्याप्त सरकारी मदद के जरिये ही पहुंच सकती हैं सभी तक स्वास्थ्य सेवाएं
भारत के विशाल और विविध भू-भागों में रहने वाली आबादी तक समुचित स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराना एक बड़ी चुनौती रही है. इसमें बड़ी कमी सरकारों की रही है, जो अपने कुल बजट का महज एक फीसदी तक हिस्सा ही सार्वजनिक स्वास्थ्य मद में खर्च करती रही है. स्वास्थ्य क्षेत्र के समूच परिदृश्य समेत इससे संबंधित अन्य पहलुओं को इंगित कर रहा है आज का वर्षारंभ ... अनंत कुमार एसोसिएट प्रोफेसर,...
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