कोरबा (निप्र)। करोड़ों की लागत से जल संसाधन विभाग द्वारा निर्मित बताती जलाशय की उपयोगिता शून्य ही साबित हो रही है। तकनीकी गुणवत्ता के अभाव में जलाशय में जल भराव संभव नहीं होने के कारण जलाशय की प्यास वर्षों से नहीं बुझ सकी है। जल भराव के अभाव में क्षेत्र के किसान न तो रबी फसल ले पा रहे हैं और न ही इसकी उपयोगिता खरीफ फसल में किसानों के लिए...
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अदूरदर्शी नीतियों से बदहाल किसान - रमेश दुबे
भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी की जंतर-मंतर पर आयोजित रैली के दौरान एक किसान की खुदकुशी दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे भी बड़े दुर्भाग्य की बात यह है कि खेती-किसानी की बदहाली पर संजीदा होने के बजाय सभी पार्टियां सियासी रोटी सेंकने में जुट गई हैं। जहां 'आप" दिल्ली पुलिस के बहाने केंद्र सरकार पर दोषारोपण कर रही है, वहीं कुछ भाजपा विरोधी कह रहे हैं कि यदि राजस्थान...
More »उद्यानिकी ने बदल दी छत्तीसगढ़ के किसान की तकदीर
प्रकाश वर्मा, राजनांदगांव। एक समय था जब धान की फसल उगाकर किसान अपने परिवार की आवश्यक्ताएं ही पूरी नहीं कर पाता था, लेकिन आज वहीं किसान अपने साथ मजदूरों के परिवार की जरूरतों को भी पूरा कर रहा है। ऐसी ही कुछ कहानी है छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में ग्राम नाथूनवागांव के किसान संतोष देवांगन की, जिनकी तकदीर और तस्वीर दोनों उद्यानिकी विभाग से जुड़ने के बाद पूरी तरह से बदल गई। वर्तमान...
More »सब्सिडी का होगा बेहतर उपयोग- जयंतीलाल भंडारी
यकीनन कल तक लगातार सब्सिडी बढ़ने और सब्सिडी के दुरुपयोग वाले देशों की सूची में भारत पहली पंक्ति में शामिल किया जाता रहा है। अब पहली बार वित्त वर्ष 2015-16 के बजट में सरकार ने खाद्य, उर्वरक और पेट्रोलियम पर दी जाने वाली सब्सिडी में 10 फीसदी की कटौती कर दी है। लेकिन सब्सिडी के बेहतर उपयोग का प्रश्न देश के समक्ष उपस्थित है। अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत के लिए मोटे...
More »कृषि क्षेत्र के विकास के लिए बजट से 5 बड़ी उम्मीदें- विजय सरदाना
देश के हर नागरिक को खाद्य सुरक्षा देने के लिए खाद्यान्यों की बर्बादी रोकना और उत्पादन को बढ़ावा देना काफी महत्वपूर्ण है। इस दिशा में ठोस पहल कर सरकार खाद्य महंगाई को काबू में करने के साथ-साथ चालू खाता घाटे को भी नियंत्रित कर सकती है। इसके अलावा, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी रफ्तार दी सकती है। हालांकि, यह बात भी सही है कि केंद्र सरकार किसानों और निजी क्षेत्र को...
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