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आखिर क्यों पीछे रह जाते हैं मध्यप्रदेश के विद्यार्थी?

डॉ. जयंतीलाल भंडारी। हाल ही में नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) के नेशनल एचीवमेंट सर्वे में यह तथ्य सामने आया है कि मध्यप्रदेश के स्कूलों में विद्यार्थी हर विषय की पढ़ाई में राष्ट्रीय औसत से भी कमजोर हैं। सर्वे में यह भी कहा गया है कि प्रदेश में प्रायवेट स्कूलों के मुकाबले सरकारी स्कूलों के बच्चे और अधिक कमजोर हैं। प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता में कमी...

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वे बुजुर्ग जिनके बच्चे अब परदेस में हैं-- गौरीशंकर राजहंस

उम्र की अपनी शारीरिक परेशानियां होती हैं, फिर इसमें वे परेशानियां जुड़ जाती हैं, जो बढ़ी उम्र की वजह से किसी को यह समाज देता है। मेरे एक भारतीय मित्र कुछ साल पहले पेंसिल्वेनिया (अमेरिका) के एक कॉलेज से रिटायर हुए, तो जीवन अचानक ही कठिन हो गया। पत्नी का निधन पहले ही हो गया था और बच्चों के साथ विदेश में रहने की अपनी दिक्कते थीं, सो हारकर उन्होंने...

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सरकारी स्कूलों में शिक्षा की खराब गुणवत्ता के लिए सिर्फ शिक्षकों को दोष देना उचित नहीं

देश के शिक्षा-संबंधी सभी अध्ययन और सर्वेक्षण इंगित करते हैं कि छात्रों का स्तर अपेक्षा से नीचे है. इस स्थिति के लिए आम तौर पर शिक्षकों को दोषी ठहरा दिया जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि हमारे विद्यालयों का इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था बेहद लचर है. देश में एक लाख से अधिक विद्यालय ऐसे हैं, जहां सिर्फ एक शिक्षक है. अधिकतर विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात...

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शिक्षा दो, अच्छे शिक्षक भी दो-- प्रमोद जोशी

दुनिया में शिक्षक दिवस पांच अक्तूबर को मनाया जाता है. लेकिन, भारत में यह उसके एक महीने पहले पांच सितंबर को मनाया जाता है. हमने पहले फैसला किया कि साल में एक दिन अध्यापक के नाम होना चाहिए. सन् 1962 में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन राष्ट्रपति बने. उस साल उनके कुछ छात्र और मित्र पांच सितंबर को उनके जन्मदिन का समारोह मनाने के बाबत गये थे. इस पर डॉ राधाकृष्णन ने...

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शिक्षक, शिक्षा और समाज-- चंद्रकांता शर्मा

शिक्षक का दर्जा समाज में बड़ा ही सम्माननीय तथा उच्च माना गया है। वह नैतिकता व आदर्शों का प्रेरणास्रोत तथा जीवन-मूल्यों के सतत नियामक रूप में भी जाना गया है। शिक्षक के रूप में एक विनयशील, अनुशासनबद्ध और आदर्श जीवन पर चलने वाले व्यक्ति को मान्य किया गया है तथा माना गया है कि उस पर समाज, राष्ट्र तथा मानव जीवन की सभी नैतिक जिम्मेदारियां हैं। समय के साथ ‘गुरु'...

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