सही है कि पूरे बुंदेलखंड में लगभग 2 लाख 80 हजार कुओं में से अधिकतर बेकार पड़ गए हैं - या तो मरम्मत के अभाव में वे गिर गए हैं या वे सूख गए हैं- लेकिन थोड़े-से रुपए खर्च करके उन्हें फिर से उपयोग के लायक बनाया जा सकता है. मगर पंचायतों और अधिकारियों का सारा जोर नए कुएं-तालाब खुदवाने पर अधिक रहता है. एेसा इसलिए होता कि इनमें ठेकेदारों,...
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बाढ़ से दो-दो हाथ करेंगी बहू-बेटियां
खगड़िया [निर्भय]। बाढ़ रूपी आपदा से अब नहीं होगी जानमाल की अपूर्णीय क्षति। कारण यह कि फरकिया अर्थात खगड़िया की बहू-बेटियों ने इससे दो-दो हाथ करने के लिए कमर कस ली है। यहां की 30 महिलाएं बाढ़ में बचाव को लेकर बूढ़वा घाट के समीप 'हिलकोर' मारती बागमती में एक जुलाई से ट्रेनिंग ले रही हैं। इन्हें न केवल बाढ़ के डूबते हुए लोगों को बचाने की, बल्कि सांप...
More »घर नहीं पर कहे जाते अमीर
इंद्रपुरी [रोहतास, निज प्रतिनिधि]। 'न जीने की ताकत न आती है मौत, जिंदगानी तलवार दुधारी बाबू जी, पूरी पीढ़ी खप गई बयाज चुकान में, फिर भी कायम रहीं उधारी बाबू जी'। कविता किरण की यह पंक्तियां गुमनाम भुईया टोले की स्थिति को चरितार्थ कर रही है। दुधमी डिहरी भुईया टोली के अधिकांश महादलित गरीबी रेखा से ऊपर है। जबकि इनके पास न घर बनाने, न खेती करने की जमीन है।...
More »फरार रहते कर्मी, स्वीपर चढ़ाता स्लाइन
सीतामढ़ी । जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था एक अलग ढर्रे पर जा पहुंची है। चिकित्सक अस्पताल छोड़ निजी क्लिनिक में व्यस्त रहते हैं। कहीं नर्स मरीजों का इलाज कर रही है, तो कही लैब टेक्निशीयन। रविवार को सदर अस्पताल में ऐसा ही अजीबोगरीब दृश्य दिखा। यहां डायरिया से पीड़ित एक बच्चे को अस्पताल का स्वीपर छोटन राम पानी चढ़ा रहा था। कैमरे में कैद तस्वीर सदर अस्पताल की व्यवस्था को कटघरे...
More »मैट्रिक फेल ऊहो डाक्टर
मुजफ्फरपुर। सीतामढ़ी के नानपुर में आम लोगों की जुबान पर चढ़ चुका यह जुमला पूरे उत्तर बिहार में अपना मुकाम हासिल कर चुका है। यानी यहा गांवों में वह भी अपनी डाक्टरी चमका रहा है, जो मैट्रिक की परीक्षा में फेल हो चुका है। जबकि, उनके नेमप्लेट पर देखे जा सकते हैं आरएमपी, बीएमपी, एसआईएमएस [सिम्स], एमआईएमएस [मिम्स] आदि जैसे भारी-भरकम डिग्रियों वाले कोटेशस। सिम्स व मिम्स पत्रिकाओं के नाम हैं,...
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