रायपुर.अब लौकी के पौधों में तरबूज (कलिंदर) के फल लगेंगे। छत्तीसगढ़ में इस तरह का अनोखा प्रयोग न केवल शुरू हो चुका है, बल्कि किसानों ने इसकी खेती भी शुरू कर दी है। कृषि पंडित डा. नारायण चावड़ा ने इस तरह का पौधा तैयार किया है। तरबूज की जड़ें इतनी सक्षम नहीं होती कि वे जमीन में मौजूद बैक्टिरिया का मुकाबला कर सकें जबकि लौकी की जड़ें घनी और ज्यादा फैली होती...
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बेमौसम बारिश से टमाटर की फसल चौपट
रायपुर.छत्तीसगढ़ में टमाटर की फसल चौपट हो गई है। बंपर पैदावार करने वाले इलाकों में बारिश के कारण टमाटर के पौधे सूख गए। इससे करीब 80 फीसदी फसल नष्ट हो गई है। स्थिति यह है कि पिछले साल दिसंबर में दो रुपए किलो बिकने वाला टमाटर इस बार ४क् रुपए के भाव बिक रहा है। दुर्ग जिले में 70 फीसदी और कोरिया जिले में 30 प्रतिशत फसल नष्ट हो चुकी है। पिछले...
More »नर्मदा का नाद -- मेधा पाटकर
विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक नर्मदा घाटी आज भी समृद्ध प्रकृति के लिए मशहूर है. घाटी में नदी किनारे पीढ़ियों से बसे हुए आदिवासी तथा किसान, मजदूर, मछुआरे, कुम्हार और कारीगर समाज प्राकृतिक संसाधनों के साथ मेहनत पर जीते आए हैं. इन्हीं पर सरदार सरोवर के साथ 30 बड़े बांधों के जरिये हो रहे आक्रमण के खिलाफ शुरू हुआ जन संगठन नर्मदा बचाओ आंदोलन के रूप में पिछले 25...
More »जैविक का व्यापार, एनजीओ और सरकार --- योगेश दीवान
कितना आश्चर्यजनक है कि अचानक मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री पानी बाबा की तर्ज पर ''जैविक बाबा'' हो जाते हैं और मुख्यमंत्री जैविक प्रदेश घोषित करने के लिये धन्यवाद के पात्र. ये वही मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री हैं, जो कुछ दिन पहले तक और अभी भी प्रदेश की खेतिहर जमीन को बड़ी ही सामंती उदारता से बड़ी-बड़ी कंपनियों को बांटते हुए फोटो खिंचा रहे थे. इसे परंपरागत जैविक के एकदम खिलाफ...
More »क्या सोचा क्या पाया
जिन सपनों को लेकर एक दशक पहले उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था उनमें से कितने सपने आंखों से उतरकर जमीन पर चल पाए हैं? नौ नवंबर को उत्तराखंड राज्य दस साल का हो गया. दस साल की उम्र किसी राज्य का भविष्य तय करने के लिए काफी नहीं होती, पर ‘पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं’ वाली कहावत के हिसाब से देखा जाए तो उस भविष्य का अंदाजा लगाने के...
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