सूचना के अधिकार को कानून बनानेवाले विधेयक पर राष्ट्रपति के दस्तखत 2005 में 15 जून को हुए थे, पर राज्यसभा ने इसे मंजूरी 12 मई को दे दी थी. चूंकि कानून इस मई महीने में अपने मौजूदा स्वरूप का दसवां साल पूरा कर रहा है, तो पूछा जाना चाहिए कि लोगों के हाथ इस कानून से कितने मजबूत हुए. इस कानून के अमल को लेकर मौजूदा केंद्र सरकार की गंभीरता का...
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हर गांव नहीं बल्कि हर घर जुड़ेगा इंटरनेट से
नई दिल्ली। देश के हर गांव को इंटरनेट नेटवर्क से जोड़ने वाली योजना पर अब मोदी की छाप दिखाई देगी। पूर्व संप्रग के कार्यकाल में शुरू नेशनल ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क (एनओएफएन) कार्यक्रम में आमूलचूल बदलाव के प्रस्ताव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरी झंडी दिखा दी है। अब यह योजना सिर्फ गांव को ही नहीं बल्कि गांव के हर घर को इंटरनेट से जोड़ने का काम करेगी। योजना को अब भारतनेट...
More »खरीद के इंतजार में बेहाल गेहूं किसान
बेमौसम बरसात के कहर के बाद केंद्र सरकार ने किसानों के साथ खड़े होने का भरोसा दिया था. गेहूं की खरीद से संबंधित गुणवत्ता नियमों में ढील देने की घोषणा भी हुई थी. पर, इस महीने के शुरुआती कुछ दिनों में गेहूं खरीद गत वर्ष की तुलना में चार फीसदी कम हुई है. खबरों के मुताबिक अब तक 2.17 करोड़ टन गेहूं की सरकारी खरीद हो सकी है, जबकि पिछले साल...
More »घाटे का सौदा नहीं है जीएसटी - सुषमा रामचंद्रन
स्टॉक मार्केट में उथलपुथल का माहौल है और विदेशी निवेशकों की अब मोदी सरकार से ये उम्मीदें टूटने लगी हैं कि वह भारत में बहुप्रतीक्षित आर्थिक सुधारों का पथ प्रशस्त कर पाएगी। पिछले साल नरेंद्र मोदी द्वारा लोकसभा चुनाव जीतने के बाद से जिन विदेशी निवेशकों ने स्टॉक मार्केट में भरपूर पूंजी लगाना शुरू किया था, अब वे अपना पैसा वापस खींच रहे हैं। वे अतीत की तारीखों से लागू...
More »सरकार नहीं, समाज गढ़ता है श्रेष्ठ संस्थान- हरिवंश
अमेरिका के जितने भी महान विश्वविद्यालय हैं, उन्हें बनाने के लिए बड़े-बड़े पूंजीपतियों ने अपनी जिंदगी भर की कमाई लगा दी. एक झटके में करोड़ों डॉलर का दान कर दिया. क्या भारत में पैसेवालों की कमी है? नहीं. फिर क्यों यहां ऐसे संस्थान नहीं खड़े होते? क्यों हम लोग हर चीज के लिए सरकार का मुंह देखते रहते हैं. सरकार अपना काम करे, यह जरूरी है. पर समाज और लोगों की...
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