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क्या हो विकास की सही परिभाषा- भारत डोगरा

सामान्य रूप से बाहरी चमक-दमक को देखकर कह दिया जाता है कि यह क्षेत्र विकास कर रहा है। मान लीजिए किसी महानगर में बहुत सी झुग्गी-झोपडि़यों बनी हैं और महानगर में कार्य करने वाले गरीब मजदूरों को इन सस्ते आवासों में आश्रय मिला हुआ है, क्योंकि इससे महंगी जगह में रहने के लिए पैसा उनके पास नहीं है। एक दिन उनकी झोपडि़यां तोड़ दी जाती हैं। इस स्थान पर एक...

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बीड़ी पत्ते में धुआं-धुआं ज़िंदगी -- सारदा लहांगीर

“छो...छोको भूंजी लोक पतर तुड़ले लागसी भोक....” ( हम लोग गरीब भुंजिया आदिवासी, पत्ता तोड़ते हुए भूख लगती है ) नुआपाडा जिले के सीनापाली गांव में रहने वाली 55 वर्षीय पहनी मांझी को जंगल में तेदूपत्ता तोड़ते हुए जब भूख लगती है तो वो अपना ध्यान बंटाने के लिए यहीं उड़ीया लोकगीत गुनगुनाती हैं. तेंदूपत्ता अप्रैल और मई महीने की चिलचिलाती धूप में जब हम अपने वातानुकुलित कमरे में बैठे आराम फरमा...

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चावल निर्यात को हरी झंडी

नई दिल्ली। सरकार ने चावल के निर्यात पर से प्रतिबंध हटा लिया है। सोमवार को खाद्यान्न पर मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह [ईजीओएम] ने 10 लाख टन चावल के निर्यात को अनुमति दे दी। सूत्रों के मुताबिक गेहूं के निर्यात को भी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई है। हालांकि इसकी मात्रा को लेकर ईजीओएम की अगली बैठक में फैसला होगा। खाद्य वस्तुओं की बढ़ती महंगाई के चलते सरकार ने वर्ष...

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सब्सिडी का अनोखा खेल-डॉ भरत झुनझुनवाला

वित्त मंत्री ने मन बनाया है कि लाभार्थी को सब्सिडी नगद रूप में दी जाए. वित्त मंत्री के मंतव्य का स्वागत किया जाना चाहिए. गरीब के नाम पर उच्चवर्ग और कंपनियों को पोषित करना उचित नहीं. हमारे धर्मग्रंथों में भी गरीब को नगद देने की बात कही गयी है. सरकार द्वारा डीजल, यूरिया, खाद्यान्न आदि पर सब्सिडी दी जा रही है. आम आदमी समझता है कि इससे उसे राहत मिल रही...

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खाद्यान्नों के निर्यात पर जोर नहीं दे रहा कृषि मंत्रालय

नई दिल्ली। कृषि मंत्री शरद पवार ने मंगलवार को कहा कि उनका मंत्रालय प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक के मद्देनजर खाद्यान्नों के निर्यात पर जोर नहीं दे रहा है। पवार का यह बयान ऐसे समय आया है जब खाद्य मंत्री के वी थामस ने कहा है कि उनका मंत्रालय खाद्यान्नों के रिकार्ड उत्पादन और भंडारण समस्या की वजह से गेहूं और चावल के सीमित मात्रा में निर्यात के खिलाफ नहीं है।...

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