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कहानी कुछ जैविक ग्रामों की- अमृतांज इंदीवर

अंधाधुंध पेस्टीसाइड्स व फर्टिलाइजर के उपयोग से मिट्टी, पानी व हवा ऊसर होते जा रही है। जहां किसान पहले खेतों में नाइट्रोजन की मात्रा 3-5 किलो प्रति कट्ठा के हिसाब से देते थे, वहीं आज 10-20 किलो प्रति कट्ठा के हिसाब से दिया जा रहा है। इसकी वजह से धरती पर ग्रीन हाउस बन रहा है और ग्लोबल वार्मिंग के खतरे बढ़ रहे हैं। यह परिस्थितिकीय चक्र को प्रभावित कर रहा है। परिणामस्वरूप खेत बंजर हो रहे हैं,...

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कमजोर मानसून का असर चीनी, सोयाबीन और ग्वार पर

गुरुवार को मानसून विभाग ने रिपोर्ट जारी करके मानसून के कमजोर रहने का अंदेशा जताया है। इसके चलते मुख्य प्रभावित होने वाले राज्यों में पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा हैं। कमोडिटी बाजार के लिहाज से कल ग्वार, सोयाबीन, चीनी के भाव महत्वपूर्ण रह सकते हैं। आईगुरू रिसर्च के सीईओ शिव श्रीवास्तव का मानना है कि धान, ग्वार, सोयाबीन, चीनी जैसी कमोडिटीज पर इस कमजोर बारिश का सबसे अधिक असर...

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चुनाव के समय ही उनकी याद आती है- अनुराग दीक्षित

लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दलों को अचानक देश के मुसलमानों की याद आ गई है। हर दल खुद को मुसलमानों का सबसे बड़ा हितैषी साबित करने में जुटा है। कांग्रेस नए-पुराने 15 सूत्रीय कार्यक्रमों समेत अपनी तमाम योजनाएं गिना रही है। वैसे यूपीए शासनकाल में अल्पसंख्यक मंत्रालय का गठन और अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं के लिए छात्रवृत्ति जैसे अहम काम हुए भी हैं। हां, यह बात अलग है कि प्रधानमंत्री भी अल्पसंख्यक कल्याण...

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रिन्युएबल एनर्जी को बढ़ावा देने का है वक्त - संजीव कुमार

वैश्विक स्तर पर सरकारें औद्योगिक क्षेत्र की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए ग्रीन इंडस्ट्रियल पॉलिसी पर काम कर रही है। इसके तहत रिन्युएबल एनर्जी के उत्पादन एवं खपत की दिशा में अधिक जोर दिया जा रहा है। यह ट्रेंड वैश्विक स्तर पर न केवल विकसित बल्कि विकासशील देशों में भी तेजी से अपनाया जा रहा है। इसका मकसद जीवाश्म ईंधन के बढ़ते इस्तेमाल से ग्लोबल वार्मिंग की...

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अबला से सबला बनीं इंदिरावती अब दूसरों को दिला रहीं हैं न्याय- राहुल सिंह

लातेहार जिले की चंदवा पूर्वी पंचायत के धोबीटोला की रहने वाली इंदिरावती देवी संघर्ष की बदौलत अपने हक को पाने वाली महिला हैं. कभी दबी-कुचली और ससुराल वालों की प्रताड़ना की शिकार यह महिला सार्वजनिक मंचों के माध्यम से महिलाओं के हक की आवाज बुलंद करती हैं. अपने हक को पाने के साथ उन्होंने कई दूसरी महिलाओं को भी उनका हक दिलाने के लिए संघर्ष किया. एकल नारी सशक्तीकरण संगठन से 2005...

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