लुधियाना . पर्यावरणीय बदलाव के कारण सबसे अधिक समस्याएं झेल रहे फूड बाउल आफ इंडिया के राज्य पर्यावरण संरक्षण में सबसे ज्यादा लापरवाह हैं। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश तीनों राज्य देश को करीब 80 फीसदी अन्न भंडार देते हैं, लेकिन इनमें जंगल या पर्यावरण को बचाने की दिलचस्पी कम है। इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इन राज्यांे में फॉरेस्ट कवर और ट्री कवर एरिया लगातार कम हुआ है,...
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उपजाऊ जमीन लेना गलत, सोनिया से होगी बात
1852 एकड़ जमीन में इंडस्ट्रियल मॉडल टाउनशिप (आईएमटी) बनाने के लिए धारा चार का नोटिस दे दिया है। वहीं अम्बाला की सांसद एवं केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा ने उपजाऊ जमीन के अधिग्रहण को कांग्रेस की नीतियों के खिलाफ बताया है। रविवार को शैलजा ने किसानों को भरोसा दिलाया कि वह इस मामले को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के समक्ष उठाएंगी। अगले कुछ दिनों में ही इस मामले में रिस्पांस मिलने...
More »नक्सल प्रभावित जिलों के लिए 3,300 करोड रुपये की योजना मंजूर
नयी दिल्ली : विकास के माध्यम से नक्सलवाद पर नियंत्रण पाने के उद्देश्य से सरकार ने नौ राज्यों में नक्सल प्रभावित 60 आदिवासी एवं पिछडे जिलों के लिए 3,300 करोड रुपये की विशेष कार्ययोजना को मंजूरी दी है. इस एकीकृत कार्ययोजना का उद्देश्य इन जिलों के लोगों की स्वास्थ्य देखभाल, पेयजल, शिक्षा तथा सडकों से जुडी समस्याओं का निराकरण करना है.इस आशय का फ़ैसला कल आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति...
More »विस्थापन
खास बातें- दुनिया में सबसे ज्यादा बड़े बांध बनाने वाले देशों में भारत तीसरे नंबर पर है। यहां अभी 3600 से ज्यादा बड़े बांधे हैं, जबकि 700 से ज्यादा अभी बनने की प्रक्रिया में हैं। भारत में बांधों की वजह से हुए विस्थापन के बारे में अलग अलग-अलग अनुमान हैं। दास और राव (1989) ने दावा किया कि भारत में बांध परियोजनाओं की वजह से दो करोड़ दस लाख लोग विस्थापित हुए। बड़े...
More »प्रतिबद्ध पत्रकार बड़ा बदलाव ला सकते हैं- ज्यां द्रेज
1. झारखंड की स्थापना का एक दशक पूरा हुआ। झारखंड के बारे में आपका मूल्यांकन क्या कहता है ? झारखंड की जनता ने अलग राज्य बनाने के लिए जब लडाई ठानी तो आस यह लगी थी कि राज्य बना तो उन्हें अपनी जिन्दगी संवारने के बेहतर मौके मिलेंगे।झारखंड की जनता के लिए यह एक तरह से मुक्ति-यज्ञ था।लेकिन हुआ इसके उलट, झारखंड की स्थापना से ताकत उन्हीं की बढ़ी जिनसे जनता...
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