नई दिल्ली/रायपुर.केंद्र की आर्थिक मदद से राज्यों द्वारा नक्सल हिंसा के विरोध में चलाए जा रहे ऑपरेशन का ऑडिट होगा। केंद्र सरकार ने यह फैसला इन अभियानों की सफलता परखने के लिए किया है। पिछले आठ साल से केंद्र सरकार राज्यों को सुरक्षा के लिए विशेष योजना के तहत फंड दे रही है। इस योजना के खर्च को जांचने के लिए सबसे पहले गृह मंत्रालय द्वारा एजेंसी का चयन किया जाना है।...
More »SEARCH RESULT
52 हजार गांवों में बनेंगी सीमेंट-कांक्रीट की सड़कें
भोपाल. ग्रामीणों को जल्दी ही कच्ची और धूलभरी सड़कों से निजात मिल सकेगी। राज्य सरकार ने 52 हजार गांवों में सीमेंट-कांक्रीट की पक्की सड़कें बनाने का फैसला किया है। ये सड़कें महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) और विधायक निधि के संयुक्त अंशदान से बनेंगी। इस संबंध में सभी जिला कलेक्टरों और मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। इन निर्देशों में कहा गया है कि नई...
More »विलुप्त हो रही विशेष पिछड़ी जनजातियों के परिवार में इजाफा
रायपुर.प्रदेशवासियों के लिए यह खुशखबरी हो सकती है। विलुप्त हो रही विशेष पिछड़ी जनजातियों की संख्या में इजाफा हो रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में आदिवासी विकास मंत्रणा परिषद की बैठक में मंगलवार को इसका खुलासा किया गया। धमतरी, फिंगेश्वर, कवर्धा, बिलासपुर आदि इलाकों में सर्वे के दौरान विशेष पिछड़ी जनजातियों कमार, बिरहोर, बैगा आदि की नई बसाहटें मिलने की बात भी पता चली है। बैठक में सर्वे...
More »घर में अनाज नहीं था मर गया बीमार गुरुचरण
पूरा राज्य सूखाग्रस्त घोषित हो चुका है. लोगों को राहत देने की कवायद भी शुरू की जा चुकी है. सरकार दावा करती है, किसी को भूख से मरने नहीं दिया जायेगा. हर हाथ को काम, हर पेट को अनाज मिलेगा. पर यहां तो अनाज गोदामों में रखे-रखे ही सड़ जा रहे हैं. गरीब, बेबस लोगों तक नहीं पहुंच पा रहे. लोग भूखों मरने पर विवश हैं. पिछले दिनों सिल्ली के...
More »रोटी की बहस और बहस की जमीन- चंदन श्रीवास्तव
सलाह मिल गयी है. खाद्य-सुरक्षा विधेयक का मसौदा अपनी परिणति तक आ पहुंचा है. लोग जान गये हैं कि यूपीए सरकार ना सही सबको तो भी कम-से-कम 80 फ़ीसदी लोगों को सस्ता अनाज देने जा रही है. लोग खुश हैं या नहीं, कहा नहीं जा सकता. भोजपुरी में एक कहावत है-ये सूरदास घीव कड़कड़ाईल बा और सूरदास का जवाब कि थरिया में पड़ो तब नू. खाद्य-सुरक्षा के मामले में जनता-जनार्दन...
More »