वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पर संसद में हुई बहस का जवाब देते हुए इस सोच का खंडन किया है कि गरीब समर्थक और कारोबार समर्थक नीतियों में कोई फर्क होता है। उन्होंने पूरी विनम्रता से स्वीकार किया है कि उनका बजट गरीब समर्थक भी है और कारोबार समर्थक भी। यह बात लगभग उसी तरह की है, जैसे यह कहा जाए कि एक तरफ जगदीश भगवती और अरविंद पणगरिया...
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हर 3 में से 2 स्कूली बच्चों का यौन उत्पीड़न, यूपी में 21 फीसदी पीड़ित 15 से कम उम्र की
नई दिल्ली. बेंगलुरु में 6 साल की बच्ची का स्कूल में यौन उत्पीड़न किए जाने का मामला सामने आने के बाद उबाल आया हुआ है। लेकिन, हकीकत यह है कि हर तीन में से दो स्कूली बच्चे यौन हिंसा का सामना करते हैं। महिला एवं बाल विकास कल्याण मंत्रालय का आंकड़ा चौंकाता है- महिला एवं बाल विकास कल्याण मंत्रालय द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन में यह...
More »फिर सब्सिडी मिलेगी ‘आधार’ से!
नयी दिल्ली:केंद्र सरकार ‘आधार' से जुड़े बैंक खातों में योजनाओं का नकद लाभ सीधे लाभार्थियों के खातों में भेजने की योजना (डीबीटी) फिर शुरू करने पर विचार कर रही है. इसका उद्देश्य फरजी लाभार्थियों की छंटाई कर योजनाओं के धन का रिसाव दूर करना का है. योजना आयोग व भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) संयुक्त रूप से आधार आधारित डीबीटी योजना पर रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं. वरिष्ठ अधिकारी देश...
More »शक्ति की करो तुम मौलिक कल्पना- रमेशचंद्र शाह
जनसत्ता 14 जुलाई, 2014 : भीतर और बाहर के सूने सपाट में अकस्मात यह कैसी तरंग उठी और उठ कर फैलती ही गई! महज एक काव्य-पंक्ति, सबकी जानी-मानी एक सुविख्यात कवि की क्यों इस तरह अयाचित और अकस्मात मन में कौंध उठी कि मुझे लगने लगा- मुझे जो कुछ कहना था वह मैंने कह दिया और कहने के साथ ही कर भी दिया। कुछ इस तरह कि मानो जो कुछ भीतर...
More »अपनी सभ्यता की शर्तों पर- रमेशचंद्र शाह
जनसत्ता 15 जुलाई, 2014 : तात्कालिक आवश्यकता इस समाज में ही अतर्निहित, लेकिन दबी-घुटी मूल्य चेतना और आत्म-ज्ञान को उभारने-जगाने की है। फिलहाल लक्षण कुछ ऐसे ही प्रतीत हो रहे हैं कि नया राजनीतिक नेतृत्व अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में इस मानी में ज्यादा संवेदनशील और जनोन्मुखी होगा। अवसरवादियों-चाटुकारों, नकलचियों और अल्पसंख्यक-तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले दंभी पुण्यात्माओं का अभयारण्य नहीं, जो कि अपने ही देश को उपनिवेश की तरह...
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