कैसे काइनेटिक समूह के मालिकों ने बैंकों को 200 करोड़ रुपये का चूना लगाया और सरकार ने उन्हें फिर भी सम्मानित किया? राहुल कोटियाल की रिपोर्ट. उत्तराखंड के टिहरी जिले का एक गांव है सिंजल. बीते दिनों आई आपदा में यहां के कई घर जमींदोज हो गए. हरी सिंह इस गांव के उन लोगों में से हैं जिन्होंने आपदा में अपना सब कुछ खो दिया. लगभग एक महीने बाद सरकार ने आपदा राहत...
More »SEARCH RESULT
चारा घोटाला:कैसे हुई थी चाईबासा खजाने से निकासी
नयी दिल्ली : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को रांची की एक विशेष सीबीआई अदालत ने चारा घोटाला मामले में दोषी ठहराया, इस मामले से जुड़ा घटनाक्रम इस प्रकार है: जनवरी, 1996: उपायुक्त अमित खरे ने पशुपालन विभाग के दफ्तरों पर छापा मारा और ऐसे दस्तावेज जब्त किए जिनसे पता चला कि चारा आपूर्ति के नाम पर अस्तित्वहीन कंपनियों द्वारा धन की हेराफेरी की गयी. उसके बाद यह चारा...
More »भरपूर अनाज होने पर भी ज्यादा महंगाई रहने की समीक्षा होगी
चिंताजनक विरोधाभास - अगस्त महीने में खाद्य मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 18.18 प्रतिशत हो गई है जबकि इस दौरान सामान्य मुद्रास्फीति 6.1 फीसदी रही। खाद्यान्न की पैदावार लगातार बढ़ रही है तथा केंद्रीय पूल में खाद्यान्न का भरपूर स्टॉक उपलब्ध है, इसके बावजूद खाद्य महंगाई दर ऊंची बनी हुई है, जो चिंताजनक है। -प्रो. के. वी. थॉमस, खाद्य एवं उपभोक्ता मामलात राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अगस्त में खाद्य महंगाई की दर 18 फीसदी से...
More »कहां खो गई गन्ने की मिठास- वी एम सिंह
सभ्य समाज पर मुजफ्फरनगर दंगा एक धब्बा है, जिसमें करीब 44 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। यह राजनीतिक पार्टियों का वोट बैंक एजेंडा तो हो सकता है, परंतु इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों के आपसी भाईचारे को गहरा धक्का लगा है। इस दंगे की लपट में आने से हजारों किसानों को गांवों से पलायन करना पड़ा है। कवाल गांव की घटना तो एक नमूना भर है। प्रदेश...
More »भ्रष्टाचार का भयावह मंजर- ज्ञान प्रकाश पिलानिया
जनसत्ता 17 सितंबर, 2013 : हाल ही में ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल की ‘वैश्विक भ्रष्टाचार: बैरोमीटर-2013’ रिपोर्ट में एक बार फिर यह उजागर हुआ है कि भारत में भ्रष्टाचार दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले दुगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है। विश्व के सत्ताईस फीसद लोगों ने कहा कि उन्होंने पिछले साल भर के दौरान रिश्वत देकर काम कराया है। लेकिन अकेले भारत में यह आंकड़ा चौवन फीसद रहा। यानी हर दो में...
More »