देश की अर्थव्यवस्था से आजकल अजीब इशारे मिले हैं। बीते अक्तूबर में औद्योगिक उत्पादन 4.2 फीसद गिरा। जुलाई से सितंबर की तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की दर 5.3 प्रतिशत दर्ज की गई। सरकार ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए पूरा जोर लगा रखा है, लेकिन देशी-विदेशी पूंजीपति नया निवेश करने से कतरा रहे हैं। कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि हमारा देश ‘बैलेंस शीट रिसेशन' के...
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घर छोड़ने को मजबूर क्यों अन्नदाता? - देविंदर शर्मा
कृषि के संदर्भ में राष्ट्रीय नमूना सर्वे संगठन (एनएसएसओ) की हालिया रिपोर्ट साफ तौर पर बताती है कि कृषि न केवल संकट के दौर से गुजर रही है, बल्कि उसका तेजी से क्षरण भी हो रहा है। मैं चकित नहीं हूं। आखिरकार 1996 में ही विश्व बैंक ने भारतीय कृषि के पतन की दिशा बता दी थी। तब विश्व बैंक ने अनुमान लगाया था कि अगले बीस वर्षों में भारत...
More »बीमा विदेशीकरण की बेचैनी क्यों- अरविन्द मोहन
संसद का सत्र खत्म होते ही कई मामलों में अध्यादेश लाना केंद्र सरकार की बेचैनी को तो बताता ही है, हम सबसे इस बात की मांग भी करता है कि हम जानें कि हमारी सरकार किन सवालों पर इतना बेचैन होकर काम कर रही है। हमने देखा है कि देश भर में धर्म के नाम पर संघ परिवार से जुड़े लोगों और संगठनों ने जिस तरह से हंगामा मचाना शुरूकिया...
More »खुले बाजार के समर्थक हैं पनगढ़िया
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नीति आयोग (नेशनल इंस्टीट्यूशन फोर ट्रांसफॉर्मिग इंडिया) पहले उपाध्यक्ष मशहूर अर्थशास्त्री और खुले बाजार के समर्थक अरविंद पनगढ़िया को बनाया गया है. वहीं, अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय और डीआरडीओ के पूर्व प्रमुख वीके सारस्वत को आयोग का पूर्णकालिक सदस्य नियुक्त किये गये हैं. नीति आयोग समाजवाद के दौर के 65 वर्ष पुराने योजना आयोग की जगह गठित किया गया है. इसके गठन की घोषणा एक...
More »कोयला उद्योग की पांच दिन की हडताल शुरू
कोलकाता-नयी दिल्ली : मजदूर संगठनों ने आज पांच दिन की कोयला उद्योग हडताल शुरू की जिसे उन्होंने 1977 के बाद किसी भी क्षेत्र में की गई अब तक की सबसे बडी औद्योगिक हडताल करार दिया है. ये संगठन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया के विनिवेश और पुनर्गठन के खिलाफ हडताल कर रहे हैं. ये मजदूर ऐसी किसी योजना को वापस लेने की मांग कर रहे हैं जिसे वे ‘कोयला...
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