आजाद भारत का पहला बजट नवंबर 1947 में पेश किया था. तब से लेकर अब तक के 68 सालों में अगर देश के कोने-कोने तक सड़क, बिजली, पानी व सिंचाई का भौतिक इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षा व स्वास्थ्य जैसा सामाजिक इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं पहुंचा है, तो इसके लिए हम और हमारे बाप-दादा ही दोषी हैं. हम सिर नीचा किये गाय की तरह घास चरते रहे. कभी सिर उठा कर पूछा नहीं कि...
More »SEARCH RESULT
जेब में पैसा तो बाजार में रौनक - हर्षवर्धन नेवतिया
मोदी सरकार कोई दो साल से सत्ता में है और अर्थव्यवस्था को विकास के पथ पर अग्रसर करने की उसकी प्रतिबद्धता पर संदेह नहीं किया जा सकता। कारोबारी वर्ग ने भी सरकार के सुधारवादी कदमों को सराहा है। लेकिन अब जरूरत इस बात की है कि हम यह आकलन करें कि सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न् कदमों से हमें कितना लाभ हुआ है। यह सच है कि अर्थव्यवस्था में निरंतरता...
More »आर्थिक समीक्षा 2015-16 की प्रमुख बातें
संसद में शुक्रवार को पेश वित्त वर्ष 2015-16 की आर्थिक समीक्षा की मुख्य बातें इस प्रकार हैं। - जीडीपी की वृद्धि 2016-17 में 7-7.5 प्रतिशत रहेगी। - चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रहेगी, यदि निर्यात में तेज बढ़ोतरी हो तो दीर्घकाल में संभावित वृद्धि की क्षमता 8-10 प्रतिशत तक। - वैश्विक स्तर पर निराशा के वातावरण में भारत स्थिरता की भूमि। - कच्चे तेल का भाव अगले वित्त वर्ष में 35...
More »अच्छे दिनों की सतर्क उम्मीद-- कन्हैया सिंह
चालू वित्त वर्ष का आर्थिक सर्वेक्षण बताता है कि आर्थिक मोर्चे पर सरकार इस बार काफी सतर्कता बरत रही है। खासकर वर्तमान के आकलन और भविष्य के लक्ष्य तय करने के मामले में। बड़ी-बड़ी उम्मीदें बांधने की बजाय उसने व्यावहारिक रवैया अपनाया है। मसलन, अगले वित्त वर्ष की विकास दर को ही लें। सरकार ने अनुमान लगाया है कि अगले साल जीडीपी की विकास दर सात से साढ़े सात फीसदी के...
More »ग्रामीण मांग बढ़ाने की जरूरत- बी के चतुर्वेदी
पिछले वर्ष जब वित्त मंत्री अरुण जेटली अपने पहले पूर्ण बजट पर बोलने के लिए खड़े हुए थे, तब अनेक लोग यह उम्मीद कर रहे थे कि वह कोई ऐसा नीतिगत दस्तावेज पेश करेंगे, जिससे मोदी सरकार के वायदों को पूरा करने की ठोस जमीन तैयार हो। इस बार जब वह बजट पेश करेंगे, तो अपेक्षाएं अचानक बहुत बदल गई हैं। राष्ट्र अब कुछ प्रमुख मुद्दों पर विश्वसनीय समाधान की...
More »