गरीबी: सभ्य समाज के इस सबसे बड़े अभिशाप को राष्ट्रपिता गांधी जी ने हिंसा का सबसे खराब रूप कहा। करेला उस पर नीम चढ़ा कि स्थिति यह कि गरीबों को 'गरीब' न मानना। हमारे हुक्मरानों ने गरीबों की नई परिभाषा गढ़ी है। अगर आप शहर में रहकर 32 रुपये और गांव में रहकर 26 रुपये प्रतिदिन से अधिक खर्च कर रहे हैं तो आप गरीब नहीं है। खुद को गरीब मानते...
More »SEARCH RESULT
अनरियल एस्टेट- हिमांशु शेखर(तहलका)
उत्तर प्रदेश के बिजनौर के रहने वाले विकास चौहान जब करीब एक दशक पहले दिल्ली आए तो उनके कई सपनों में से एक यह भी था कि देश की राजधानी में उनका एक अपना आशियाना हो. नौकरी मिली और आमदनी बढ़ने लगी तो उन्होंने अपने इस सपने को पूरा करने की कोशिश शुरू कर दी. प्रॉपर्टी की बढ़ती कीमतों की वजह से दिल्ली में तो कोई मकान उन्हें अपने बजट...
More »नोएडा में देश की सबसे बड़ी लैंड डील
देश की सबसे बड़ी प्राइवेट कामर्शियल लैंड डील ‘सिटी सेंटर’ पंजीकृत होने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। वेब मेगासिटी इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड ने इसकी रजिस्ट्री के लिए 367.56 करोड़ रुपये का स्टांप शुल्क जमा कर दिया है। रजिस्ट्री विभाग के इतिहास में किसी एक डील पर सबसे ज्यादा राजस्व मिलने का रिकॉर्ड बना है। रजिस्ट्री विभाग में इसके दस्तावेज तैयार हो रहे हैं। अगले दो दिन में इसकी रजिस्ट्री...
More »एक नहीं, पांच लोकपाल हों - अरुणा राय
प्रभात खबर चाहता है कि जनलोकपाल और भ्रष्टाचार पर आम लोगों के बीच स्वस्थ विमर्श का सिलसिला शुरू हो. इसके लिए जरूरी है कि इन मुद्दों पर असहमति के बिंदुओं और वैकल्पिक विचारों की भी जानकारी सबको हो. इस क्रम में हम सरकारी लोकपाल और जनलोकपाल विधेयक में बिंदुवार अंतर दे रहे हैं. साथ में पढ़ें राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की सदस्य अरुणा राय के विचार. असहमति का स्वर रखनेवाली अरुणा राय राजनैतिक...
More »उनकी साख डूबी और इनकी संभावनाएं
नई दिल्ली [अंशुमान तिवारी]। दुनिया की आर्थिक तस्वीर बिगड़ते ही रोजगारों का पूरा परिदृश्य तब्दील होने लगा है। वर्ष 2011 की शुरुआत में रोजगारों का बाजार मंदी से उबरने की उम्मीदें और सूचना तकनीक, रिटेल के अलावा इंजीनियरिंग व शोध विकास जैसे क्षेत्रों में नए अवसरों की संभावना से सराबोर था। वहीं, आज सन्नाटा और आशका मुश्किलें आ जमी हैं। नौकरियों के लिए मुश्किलें तितरफा हैं। घाटे से परेशान सरकारें...
More »