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मध्याह्न भोजन में छिपकली मिली, सौ बच्चे बीमार

हजारीबाग। कटकमसांडी प्रखंड के मध्य विद्यालय कंडसार में बुधवार को मध्याह्न भोजन खाने से करीब सौ बच्चे बीमार हो गए। इनमें 25 बच्चों का इलाज सदर अस्पताल हजारीबाग व अन्य का इलाज कंडसार स्थित स्वास्थ्य केंद्र में कराया गया। बताया जाता हे कि भोजन में छिपकली गिर गई थी, जिस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। घटना की खबर पाते ही आरडीडीई सीके त्रिपाठी, डीईओ तुलसी दास ने विद्यालय पहुंचकर मामले की जांच की। उन्होंने...

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तब धरती के सीने को भट्टी बना देंगे पौधे!

मुंबई। अब तक माना जाता रहा है कि पेड़-पौधे धरती का तापमान कम रखने में मददगार हो सकते हैं। लेकिन वैज्ञानिकों ने एक नए अध्ययन में पाया है कि अगर वायुमंडल में कार्बन डाईआक्साइड की अधिकता हो गई तो पेड़-पौधे धरती की सतह को सीधे गर्म कर देंगे। बेंगलूर स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस [आईआईएससी] के प्रोफेसर गोविंदसामी बाला ने बताया कि हाल ही में किए गए एक वैश्विक माडल अध्ययन में इस अवधारणा पर...

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यहां सौर ऊर्जा से पकता है 6 हजार लोगों का भोजन

देहरादून। तीर्थनगरी हरिद्वार स्थित गायत्री पीठ शांतिकुंज में वैकल्पिक ऊर्जा के तहत सौर ऊर्जा से प्रतिदिन छह हजार लोगों का भोजन पकाया जा रहा है जो अपने आप में पूरी दुनिया में अनूठी मिसाल है। शांतिकुंज के व्यवस्थापक गौरीशंकर शर्मा ने बताया कि विश्व में पारंपरिक ऊर्जा के तहत इस्तेमाल किए जाने वाले विभिन्न यंत्रों और उपकरणों के माध्यम से विश्व का तापमान बढ़ रहा है जिसके मद्देनजर इस वैकल्पिक ऊर्जा को लोगों की जरूरतों...

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एक मरीज पर केवल 1.20 रुपए

रायपुर. आंबेडकर अस्पताल को भले ही राज्य का सबसे बड़े सुपर स्पेशलिटी हेल्थ सेंटर का तमगा दिया जाने लगा है, लेकिन मरीजों को दी जाने वाली सुविधाओं के नाम पर पुराना सिस्टम ही चल रहा है। गंभीर किस्म की बीमारियों के इलाज की उम्मीद लेकर आने वालों को यह जानकार हैरानी होगी कि यहां एक मरीज पर सरकार रोजाना केवल 1 रुपए 20 पैसे खर्च कर रही है। राज्य शासन ने अस्पताल का बजट 7 करोड़ तय...

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देसी आम प्रजाति लुप्त होने के कगार पर

नूरपुर : सरकार की उपेक्षा के चलते निचले क्षेत्रों में देसी आम की प्रजाति लगभग लुप्त होने के कगार पर है। निचले क्षेत्र के आम की अपनी एक अलग पहचान है। यह आम जहां रस से भरा होता है, वहीं आसानी से हजम भी हो जाता है। बागवानों का अब धीरे-धीरे देसी आम से मोह भंग हो रहा है, क्योंकि एक तो देसी आम के पेड़ जगह अधिक घेरते हैं, वहीं उनमें फल भी काफी...

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