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तीसरी दुनिया: वायरस पर नियंत्रण के बहाने दुनिया को एबसर्ड थिएटर में बदलती सरकारें

-मीडियाविजिल, लंदन से प्रकाशित दैनिक ‘इंडिपेंडेंट’ ने अपनी एक रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जाहिर की है कि कई देशों की सरकारें कोरोना वायरस पर नियंत्रण के बहाने अपने उन कार्यक्रमों को पूरा करने में लग गयी  हैं जिन्हें पूरा करने में जन प्रतिरोध या जनमत के दबाव की वजह से वे तमाम तरह की बाधाएं महसूस कर रहीं थीं। रिपोर्ट के अनुसार 16 मार्च को संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध विशेषज्ञों...

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केंद्र सरकार का राज्यों को निर्देश- लॉकडाउन सख्ती से लागू करवाएं, सीमाएं पूरी तरह सील करें

-सत्याग्रह, केंद्र सरकार ने राज्यों को निर्देश दिया है कि जो लोग लॉकडाउन का उल्लंघन करते हुए एक जगह से दूसरी जगह गए हैं, उन्हें तुरंत 14 दिन के लिए आइसोलेट किया जाए. सड़कों पर बड़ी संख्या में दिहाड़ी मजदूरों को देखते हुए केंद्र ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नए दिशा निर्देश जारी किए हैं. इनमें राज्य सरकारों से कहा गया है कि वे न केवल अपने-अपने राज्य की,...

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सवाल यह है कि पहले कभी ये मजदूर आते-जाते क्यों नहीं दिखे?

-गांव कनेक्शन, पूरा भारत लॉकडाउन में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से अपील कि 21 दिन तक कोरोना से बचाव के लिए वो घरों के बाहर लक्ष्मण रेखा खींच लें। होटल-ढाबे बंद हैं, बस-ट्रेनें बंद हैं, ऐसे में दूसरे राज्यों में फँस चुके लाखों मजदूर सैकड़ों किलोमीटर दूर पैदल ही अपने घर की ओर निकल पड़े हैं, यह मजदूर क्या चाहते हैं और क्यों इन मजदूरों की ऐसी दशा हुई,...

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जेल, क़ैदी और कोरोना

-न्यूजलॉन्ड्री, 24 मार्च को रात आठ बजे देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले 21 दिनों के लिए देशभर में पूर्ण रूप से लॉकडाउन करने का फैसला सुनाया. अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने साफ़ शब्दों में कहा कि इस बीमारी का एकमात्र इलाज लोगों से दूरी बनाकर अपने घरों में रहना है. उन्होंने कहा कि जिन राष्ट्रों में सबसे बेहतर मेडिकल सुविधाएं हैं, वे भी इस वायरस को रोक...

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कोरोना लॉकडाउन से प्रभावित असंगठित क्षेत्र को सरकार क्या भूल गई है?

-बीबीसी, वित्त मंत्रालय में जारी लगातार बैठकों और विचार-विमर्श के बाद मध्यम वर्ग और कॉर्पोरेट जगत को कोरोना से निपटने के लिए एक के बाद दूसरी राहतों का एलान हुआ. इसके बाद भारत के 50 से अधिक समाजसेवियों, बुद्धिजीवियों और राजनीतिज्ञों ने केंद्र और राज्य सरकारों को ख़त लिखकर लगभग 40 करोड़ से अधिक दिहाड़ीदारों, खेतिहर मज़दूरों, छोटे किसानों, वृद्धा पेंशन भोगियों और झुग्गी-झोपड़ियों में रहनेवालों विशेष वित्तीय मदद दिए जाने की...

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