नई दिल्ली, [अंशुमान तिवारी]। वित्त मंत्री के धमकाने पर विकास दर का आंकड़ा भले ही बदल जाए, लेकिन हकीकत बदलने वाली नहीं है। भारत के आर्थिक विकास की गति व्यावहारिक रूप से अब साठ-सत्तर के दशक वाली स्थिति में पहुंच गई है। विकास दर में से अगर विदेश व्यापार और विदेशी पूंजी को हटा दिया जाए तो देशी अर्थव्यवस्था पांच फीसद भी नहीं, बल्कि केवल 3 से 3.5 फीसद की दर से...
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नकद पैसे का खेल- बनवारी
जनसत्ता 14 फरवरी, 2013: मनमोहन सिंह सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि गरीबी एक आर्थिक और राजनीतिक समस्या के बजाय अब केवल वित्तीय समस्या रह गई है। केंद्र सरकार की प्राथमिक चिंता अब न बेरोजगारी है, न महंगाई। देश की इन दो सबसे बड़ी समस्याओं से मुंह चुराने का उसने एक आसान उपाय निकाल लिया है। देश के गरीब लोगों के हाथ में दमड़ी रख दो; इससे सरकार के कल्याणकारी...
More »यूपी में नई चीनी मिलों की राह नहीं आसान
अवनीश त्यागी, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों को राहत पहुंचाने के लिए तैयार नई चीनी नीति निवेशकों को लुभा पाएगी, इसे लेकर शंका जताई जा रही है। मिलों के लिए पेराई को पर्याप्त गन्ने की उपलब्धता और गुणवत्ता पर सवाल उठाए जा रहे हैं। वहीं, गन्ना किसानों की सियासत के उलझाव भी परेशानी का सबब हैं। नई नीति के तहत 24 जिलों में चीनी मिलों के निर्माण के लिए खास...
More »नाबार्ड का पूंजी आधार चार गुना बढ़ेगा
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। केंद्र सरकार ने ग्रामीण व कृषि क्षेत्र को ज्यादा कर्ज मुहैया कराने के अपने अभियान के तहत राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक [नाबार्ड] के पूंजी आधार को चार गुणा बढ़ाने का फैसला किया है। नाबार्ड के मौजूदा पूंजी आधार 5000 करोड़ रुपये को बढ़ा कर 20 हजार करोड़ रुपये करने संबंधी प्रस्ताव को गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में पास कर दिया गया। पूंजी आधार को बढ़ाने...
More »तेल का काला खेल- अरविन्द सेन
जनसत्ता 31 जनवरी, 2013: ममता बनर्जी के गति अवरोधक से आजाद कांग्रेस की अगुआई वाली यूपीए सरकार अब निवेशकों की दिखाई राह पर दौड़ रही है। रेल किरायों में बढ़ोतरी के बाद अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के नाम पर डीजल सुधारों का जुमला छोड़ा गया है। डीजल के दाम में पचास पैसे का इजाफा करते हुए सरकार ने कहा है कि अब से हर महीने डीजल की कीमत एक रुपए...
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