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बजट बाद वित्त मंत्री के नाम एक खत...गोविन्दो भट्टाचार्य

प्रिय वित्त मंत्री, यह आपकी सरकार का पहला बजट था। जनता ने भारी-भरकम जनादेश देकर आपको यह मौका दिया। पिछले शासन से अलग हटकर आपने जनता से बदलाव और बिना किसी खैरात के विकास करने का वादा किया था। वित्त मंत्री जी क्या हुआ इन वादों का? तीस सालों में पहली बार आपकी पार्टी पूरी तरह से बहुमत में आई। यह राष्ट्र बखूबी जानता है कि पिछली सरकार ने अपने शासन में...

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PPP पर ग्रोथ का दारोमदार लेकि‍न वि‍त्‍त मंत्रालय ने ही उठाए कई सवाल

नई दि‍ल्‍ली। वि‍त्‍त मंत्री अरुण जेटली ने बजट में सार्वजनि‍क नि‍जी भागीदारी (पीपीपी) पर बड़ा दांव तो लगा दि‍या है लेकि‍न इस व्‍यवस्‍था पर अब वि‍त्‍त मंत्रालय ने ही कई सवाल खड़े कर दि‍ए हैं। वि‍त्‍त सचि‍व अरविंद मायाराम ने नि‍जी कंपनि‍यों पर आरोप लगाया है कि‍ ये प्रोजेक्‍ट्स की ऊंची बोलि‍यां लगाती हैं। पि‍छले दि‍नों कैग की रि‍पोर्ट में भी यह कहा गया था कि‍ नि‍जी कंपनि‍यां प्रोजेक्‍ट्स...

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बंद होने के कगार पर राजीव गांधी शिक्षा मिशन

कोरबा (निप्र)। राजीव गांधी शिक्षा मिशन अब शिक्षा विभाग में विलोपित होने के बाद बंद होने की कगार में जा पहुंचा है। नए निर्माण कार्यों के लिए स्वीकृति अब मिशन से बंद हो चुकी है। पुराने कार्यों की मानें तो पूरी राशि आवंटन के बाद भी जिले मे 275 निर्माण कार्य अब भी अधूरे पड़े हैं। जिन कार्यों का निर्माण अधूरे हैं, उनकी वसूली पंचायत स्तर से नहीं होने के...

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बबुआ से बड़ा झुनझुना- विनोद कुमार

जनसत्ता 21 जुलाई, 2014 : आजादी के बाद हमने वयस्क मताधिकार पर आधारित भारतीय गणराज्य की स्थापना की। मूल अवधारणा यह रही कि हम एक ऐसी व्यवस्था बनाएंगे जिसके केंद्र में रहेगा देश का नागरिक। विधायिका उसके हित में कानून बनाएगी, कार्यपालिका उन कानूनों के दायरे में नागरिकों को एक विधि-सम्मत सुशासन मुहैया कराएगी, सेना बाह्य दुश्मनों से देश की सुरक्षा की गारंटी करेगी, पुलिस नागरिकों के जान-माल की रक्षा करेगी।...

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शक्ति की करो तुम मौलिक कल्पना- रमेशचंद्र शाह

जनसत्ता 14 जुलाई, 2014 : भीतर और बाहर के सूने सपाट में अकस्मात यह कैसी तरंग उठी और उठ कर फैलती ही गई! महज एक काव्य-पंक्ति, सबकी जानी-मानी एक सुविख्यात कवि की क्यों इस तरह अयाचित और अकस्मात मन में कौंध उठी कि मुझे लगने लगा- मुझे जो कुछ कहना था वह मैंने कह दिया और कहने के साथ ही कर भी दिया। कुछ इस तरह कि मानो जो कुछ भीतर...

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