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गरीबों की पहुंच से ऊपर हो रही है दिल्ली- मनोज मिश्र

नई दिल्ली । दिल्ली और एनसीआर(राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) को आम की बजाए खास आदमी का शहर बनाने की तैयारी हो रही है। इसका नतीजा यह हुआ है कि एनसीआर के कई इलाके उजड़ने के कगार पर हैं। दिल्ली के कुछ इलाकों को छोड़ दें तो दिल्ली के ज्यादातर इलाके स्लम जैसे बनते जा रहे हैं। 1483 वर्ग किलोमीटर की दिल्ली का महज पांचवा हिस्सा ही रिकार्ड में बचा है, जिसे...

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..और करप्शन के खिलाफ आम आदमी की 'सटक' गई तो करने लगा अन्नागिरी!

पटना। पटना या दिल्ली के बदले एक आदमी अपने गांव में ही अनशन पर बैठ गया है। अन्ना हजारे का नाम लेकर। मुद्दा हजारे वाला ही है। यानी करप्शन पर हमला। आज उस गांव के छह और लोग भी अनशन पर बैठ गये। तैयारी इस बात की चल रही है कि करप्शन से...

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इस असंतोष की जड़ें- पुण्य प्रसून वाजपेयी

जनसत्ता 8 नवंबर, 2012: बेचैनी हर किसी में है। आम आदमी की बेचैनी रोज-रोज की परेशानी से जूझते हुए पैदा हुई है। खास लोगों की बेचैनी सत्ता-सुख गंवाने के डर से उपजी है। विरोध में उठे हाथ गुस्से में हैं। गुस्सा जीने का हक मांग रहा है। सत्ता को यह बर्दाश्त नहीं है तो वह गुस्से में उठे हाथों को चिढ़ाने के लिए और ज्यादा गुस्सा दिलाने पर आमादा है। गुस्सा...

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कोयले-गैस की कमी से रुकी हैं 20,000 मेगावाट क्षमता की बिजली परियोजनाएं

नई दिल्ली। बिजली संयंत्रों को ईंधन की आपूर्ति में कमी से देश में 20,000 मेगावाट क्षमता की नयी परियोजनाएं प्रभावित हो रही हैं। यह बात बिजली मंत्रालय के एक अधिकारी ने कही। बिजली मंत्रालय के संयुक्त सचिव आईसीपी केसरी ने यहां उर्च्च्जा पर एक सम्मेलन में कहा कि मंत्रालय मौजूदा संयंत्रों को गैस की आपूर्ति के लिए पेट्रोलियम मंत्रालय से चर्चा कर रहा है। उन्होंने कहा कि कुल 8,000 मेगावाट क्षमता...

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गुजरात के विकास का सच

जनसत्ता 6 नवंबर, 2012: अमिताभ बच्चन जब भी रेडियो और टेलीविजन पर एक विज्ञापन ‘खुशबू गुजरात की’ करते हैं तो उनकी दिलकश आवाज और लहजे से एक बार तो मन करता है कि ‘गुजरात-2002’ को भूल कर एक साधारण पर्यटक की तरह गुजरात घूमा जाए। नरेंद्र मोदी ने, विशेषकर 2002 के बाद, मीडिया में अपनी और गुजरात की छवि सुधारने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। दरअसल, 2002 के दंगों के एक वर्ष बाद...

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