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ओडिशा माली पर्वत खनन: हिंडाल्को कंपनी का विरोध करने वाले आदिवासी एक्टिविस्टों को मिल रहीं धमकियां

-न्यूजक्लिक, ओडिशा के आदिवासी और दलित किसान पिछले दो दशकों से उनके पवित्र स्थल माली पर्वत पर बॉक्साइट खनन का विरोध कर रहे हैं। 270 एकड़ में फैला माली पर्वत दक्षिण ओडिशा के कोरापुट जिले में पड़ता है। साल 2007 में हिंडाल्को इंडस्ट्रीज़ के खनन लाइसेंस की अवधि ख़त्म हो गई थी। इसके बाद आदिवासियों के कड़े विरोध के चलते आगे खनन रोक दिया गया था। अप्रैल में कंपनी के खनन...

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52 की उम्र में सीखी नयी तकनीक, चीया सीड्स उगाकर कमा रहीं तीन गुना मुनाफा

-द बेटर, कर्नाटक के एचडी कोटे तालुका की आदिवासी महिला, प्रेमा की कहानी काफी दिलचस्प है। वह हमेशा से अपनी आजीविका के लिए जंगलों पर ही निर्भर थीं। लेकिन जब साल 2007 में राज्य सरकार ने उन्हें नागरहोल जंगल से सोलेपुरा रिज़र्व फॉरेस्ट में बसाया, तब उनके लिए काफी कुछ बदल गया। साल 2007 में पुनर्वास के बाद, प्रेमा को खेती करने की सलाह दी गई। लेकिन प्रेमा के लिए यह सबकुछ...

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एनएसओ सर्वेक्षण: साल 2019 में उत्तर भारत के मुकाबले दक्षिणी राज्यों में ऋणग्रस्त कृषि परिवारों का अनुपात अधिक है!

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के 77वें दौर के सर्वेक्षण पर आधारित 'ग्रामीण भारत में परिवारों की स्थिति का आकलन और परिवारों की भूमि जोत, 2019', हाल ही में जारी किया गया था. यह सर्वेक्षण अन्य कई बातों के अलावा फसल वर्ष 2018-19 में किसान परिवारों की आय और वर्ष 2019 में ऋणग्रस्तता (सर्वेक्षण की तारीख) के बारे में सूचित करता है. हाल में जारी की गई इस रिपोर्ट से पहले,...

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मुस्लिम-विरोध और हिंसा: वीएचपी की 10 पत्रिकाओं का लेखाजोखा

-न्यूजलॉन्ड्री, किताबें, अखबार और पत्रिकाएं जहरीली विचारधारा प्रसारित करने का सबसे महत्वपूर्ण हथियार है. सोवियत नेता जोसेफ स्टालिन ने एक बार कहा था, "किताबें अन्य सभी प्रचार माध्यमों से मुख्य रूप से भिन्न होती हैं क्योंकि एक पुस्तक किसी भी अन्य माध्यम से ज्यादा, पाठक के दृष्टिकोण को महत्वपूर्ण रूप से बदल सकती है." लगभग 1870 से 1918 तक भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के प्रारंभिक चरण में राजनीतिक प्रचार और शिक्षा, राष्ट्रवादी विचारधारा...

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गुजरात सरकार का तौकते राहत पैकेज प्रवासी मछुआरों की वास्तविकताओं से परे है

-द वायर, मई के महीने में भारत के कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से गुजरते तौकते चक्रवात ने गुजरात में तबाही मचा दी थी. राज्य के मत्स्य व्यवसाय को इसके चलते अनुमानतः 160 करोड़ रुपये का भारी नुकसान झेलना पड़ा. हालांकि विशेषज्ञों का अनुमान है कि असल नुकसान इससे कई गुना ज्यादा है. गुजरात सरकार द्वारा मछुआरों के साथ-साथ उनकी नावों एवं उपकरणों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए 105 करोड़ रुपये का...

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