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ज्यादातर बच्चों की ट्रैफिकिंग में शामिल होते हैं नजदीकी रिश्तेदार

नई दिल्ली। बाल मजदूरी निरोधक कानून के अंतर्गत वर्ष-2014 में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मात्र 254 मामले ही दर्ज हुए हैं। इसमें से आधे की उम्र 14 साल से कम हैं। बचाए गए बच्चों में ज्यादातर के ट्रैफिकिंग में उनके परिवार के नजदीकी रिश्तेदार शामिल थे। इस तथ्य का खुलासा सामाजिक संस्था-बचपन बचाओ आंदोलन की ओर से किए गए सर्वे से हुआ है। संस्था की ओर से इस सर्वे को सोमवार...

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देश को सुधारों से आगे सोचना होगा-- आकार पटेल

एक सुपर पावर बनने के लिहाज से भारत के लिए क्या चीजें जरूरी हैं? पहली चीज तो यह है कि उसे एक महाशक्ति यानी ग्रेट पावर होना होगा. अंतरराष्ट्रीय संबंध में इसे एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में परिभाषित किया गया है- जिसके पास वैश्विक स्तर पर अपने प्रभाव के प्रयोग की योग्यता होती है. हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के पांच स्थायी सदस्यों- अमेरिका, चीन, फ्रांस, रूस और ब्रिटेन-...

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बाल श्रम, सरकार और समाज-- सुशील कुमार सिंह

केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अनुसार बाल श्रम (प्रतिबंध और नियमन) संशोधन विधेयक-2012 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल गई है। संभव है कि आने वाले शीत सत्र में इसे संसद के समक्ष पेश किया जाएगा। यह बदलाव 1986 के कानून को न केवल परिमार्जित करने से संबंधित है, बल्कि चौदह से अठारह वर्ष की उम्र के किशोरों के काम को लेकर नई परिभाषा भी गढ़ी जा रही है।...

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छह माह में भरे जाएं सूचना आयुक्तों के पद: दिल्ली हाई कोर्ट

नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) में लंबित पड़े मामलों को गंभीरता से लिया है। मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी व न्यायमूर्ति जयंत नाथ की खंडपीठ ने शुक्रवार को सीआईसी में रिक्त पड़े पदों को भरने संबंधी याचिका पर केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि सूचना आयुक्त के तीन रिक्त पदों को छह माह के भीतर भरा जाए। खंडपीठ ने कहा कि सरकार को पिछले वर्ष जारी...

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अदालत बनाम हुकूमत की नौबत! - संतोष कुमार

राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) कानून को असंवैधानिक ठहराने के सर्वोच्च अदालत के फैसले के बाद से ही इस पर सरकार और न्यायपालिका के बीच ठनी हुई है। सर्वोच्च अदालत कॉलेजियम प्रणाली पर अडिग है, अलबत्ता उसने इसमें सुधार के लिए लोगों से सुझाव जरूर मांगे हैं। सरकार भी इस मत पर कायम है कि एनजेएसी को असंवैधानिक ठहराने का फैसला संसदीय संप्रभुता को झटका है। वर्ष 1788 में प्रकाशित 'फेडरलिस्ट...

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