नई दिल्ली [माला दीक्षित]। बिहार सरकार ने मौसम की मार और भुखमरी से बचाने के लिए शहरी बेघरों को आश्रय और भोजन देने से हाथ खड़े कर दिए हैं। यह निर्देश सुप्रीम कोर्ट का था, लेकिन राज्य सरकार को यही नहीं मालूम कि उसके शहरों में कितने लोग बेघर हैं? कोर्ट के नोटिस के जवाब में राज्य सरकार ने आर्थिक और प्रबंधकीय दिक्कतें बताते हुए ऐसा करने में असमर्थता जताई है और सारी जिम्मेदारी केंद्र सरकार...
More »SEARCH RESULT
अनाथों की जिंदगी में उजियारा लाता एक शख्स
घाटशिला [पूर्वी सिंहभूम] नक्सली हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित घाटशिला में चारों तरफ दहशत है। यहा चप्पे -चप्पे पर अर्द्वसैनिक बल के जवानों की आहट सुनने को मिल रही है, लेकिन इसी दहशतजदा माहौल के बीच एक शख्स ऐसा भी है जो दर-दर की खाक छानते हुए मानवता की अलख जगा रहा है। पिता से महज तीन रुपये नहीं मिल पाने के कारण स्कूल की पढ़ाई छोड़ देने वाले 46 वर्षीय काठा सिंह, घाटशिला से...
More »सपना हो जाएगी महुए की डोभरी !
बांदा। महुआ के फूल से बनी 'डोभरी' जंगल में बसे जनजातियों के लिए अब सपना हो जाएगी। 'डोभरी' जनजातियों के जीवन का एक प्रमुख सहारा रहा है। कोलुहा जंगल में पीढि़यों से बसे जनजातियों को अब भूखे पेट रात बितानी होगी। वन संपदा पर दबंगों की हुकूमत व सूखे की मार से मुंह का निवाला छिन गया है। उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के फतेहगंज क्षेत्र के कोलुहा जंगल में पीढि़यों से बसे जनजातीय...
More »मैडम की सेवा से दरक रहे सपने
नवादा [वरुणेंद्र कुमार]। लड़कियां सहनशील होती हैं। हालात से जल्दी समझौता कर लेती हैं। दर्द होने पर भी मुंह से कभी उफ नहीं करतीं। इन्हीं परिस्थितियों में उनके सपने टूट कर बिखर जाते हैं। ऐसा ही कुछ देखने को मिला मेसकौर प्रखंड में संचालित कस्तूरबा विद्यालय में। खाने को अधजली रोटी, पीने को कुएं का पानी, नहाने की भी समस्या, सोने को फर्श, फिर भी सब ठीक। सोमवार को जब जागरण टीम कस्तूरबा आवासीय विद्यालय...
More »अमीरी-गरीबी के बीच बढ़ता फासला
नई दिल्ली [निरंकार सिंह]। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि 11वीं योजना के अंत तक नौ फीसदी और 12वीं पंचवर्षीय योजना में 10 फीसदी विकास दर का लक्ष्य होना चाहिए। इसके साथ यह भी सुनिश्चित करना होगा कि इसका फायदा समाज के हर वर्ग को मिले। इनकी सरकार लगातार समावेशी विकास के दावे कर रही है, लेकिन उसने विकास के उन तौर तरीकों को अपनाया है, जिससे समाज में विषमता बढ़ गई है। अमीरी और...
More »