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सूपेड़ी और लूंधीया बने पानीदार गांव

गुजरात के सुप्रसिद्ध लोक साहित्यकार स्वर्गीय झवेरचंद मेघाणी ने आजादी के कुछ ही वर्ष पूर्व सौराष्ट्र की लोक कथाओं में अनेक नदियों में आई बाढ़ का उल्लेख किया है. आज वही सौराष्ट्र पिछले कुछ समय से अकाल ग्रस्त और सूखा ग्रस्त क्षेत्र घोषित होने लगा है. आजादी के 50 वर्ष में ही गुजरात की छोटी-बड़ी सभी नदियां सूख गईं और कृषि प्रधान गुजरात अब सूखाग्रस्त गुजरात हो गया. कभी सागर के नाम से...

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दिल्ली में ज्यादातर सब्जियों के दाम घटने लगे हैं : सरकार

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में टमाटर और अन्य हरी सब्जियों की आपूर्ति में धीरे धीरे सुधार के बीच प्याज को छोड़कर अधिकांश सब्जियों की कीमतें नरम पड़नी शुरू हो गई हैं। उपभोक्ता मामलों के सचिव पंकज अग्रवाल ने आज यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, हालांकि, सब्जियों के दाम में आगे और गिरावट तब आयेगी जब आसपास के उत्पादक क्षेत्रों में बेमौसम बरसात रूक जाएगी। उन्होंने कहा,  'मैं कैसे कह सकता हूं कि...

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समुद्र से तबाही के तूफान- संदीप निगम

चक्रवाती तूफान ‘फैलिन’ तबाही की कहानी लिख कर कमजोर पड़ चुका है. देश की वैज्ञानिक प्रगति, मौसम विभाग की सटीक भविष्यवाणी और आपदा प्रबंधन को लेकर राज्य एवं केंद्र सरकारों के बीच सही तालमेल ने साबित किया कि प्रकृति के कहर को रोका भले न जा सकता हो, लेकिन इसके असर को न्यूनतम किया जा सकता है. समुद्र से चक्रवाती तूफान उठने के कारणों और उसके विभिन्न प्रकार की जानकारी दे रहा...

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एक करोड़ लोगों के घर उजाड़ गया तूफान

गोपालपुर/श्रीकाकुलम/नई दिल्ली। भीषण चक्रवाती तूफान पेलिन ने ओड़िशा और उत्तरी तटीय आंध्र में तबाही तो मचाई लेकिन पर्याप्त एहतियात बरतने के कारण जनहानि नहीं हुई। तूफान से करीब 90 लाख लोग प्रभावित हुए हैं, 2.34 लाख घर क्षतिग्रस्त हो गए जबकि 2400 करोड़ रुपए की धान की फसल बर्बाद हो गई। पेलिन को पिछले 14 साल में आया सबसे भीषण तूफान माना जा रहा है लेकिन 1999 में आए तूफान...

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नमक सेजुड़े नए सवाल- अनिल चमड़िया

जनसत्ता 11 अक्तूबर, 2013 : कई गंभीर घटनाएं हो रही हैं, लेकिन लोगों का मानस इस तरह का बना दिया गया है कि वे किसी विषय के इतिहास को लेकर तो बोलते हैं, उसके मौजूदा हालात पर कुछ सुनने को तैयार नहीं होते। कई बार लगता है कि सुनने की शारीरिक प्रक्रिया को भी एक खास तरह के ढांचे में ढाल देने में बाजारवादी विचारों को कामयाबी मिली है। तात्कालिक संदर्भ...

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