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नोटंबदी को दरकिनार कर Q3 में जीडीपी वृद्धि दर 7%, पूरे वर्ष का वृद्धि अनुमान 7.1% पर बरकरार

नोटबंदी की वजह से आर्थिक गतिविधियों के बुरी तरह प्रभावित होने की आशंकाओं को दरकिनार करते हुये चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7 प्रतिशत रही है, जबकि पूरे वर्ष की वृद्धि का दूसरा अग्रिम अनुमान भी 7.1 प्रतिशत पर पूर्ववत रहा है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के मंगलवार (28 फरवरी) को जारी तीसरी तिमाही और पूरे वर्ष के अग्रिम अनुमान में...

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नोटबंदी से परेशान निम्न-मध्यम वर्ग व छोटे उद्यमियों को वित्त मंत्री ने की साधने की कोशिश-- राजेन्द्र तिवारी

धूम-धड़ाके वाली नोटबंदी से परेशान देश के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2017-18 के लिए निम्न व मध्यवर्ग को राहत देने वाला, सामाजिक व ग्रामीण क्षेत्र में आवंटन बढ़ाने और कृषि व किसानों के लिए सरकारी खर्च बढ़ाने वाला बजट पेश किया. यह पहला ऐसा बजट है जिसमें योजना और गैर योजना की श्रेणी खत्म कर दी गयी और रेलवे अन्य विभागों की तरह ही इसमें शािमल किया गया. वित्त...

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आम बजट आम लोगों के लिए-- बिभाष

बजट बसंती जाड़े से खिसक कर चिल्ला ठंडे के मौसम में आ गया है. कड़कड़ाती ठंड में बजट की तैयारियां चल रही ही हैं कि इसी बीच दो रिपोर्ट चर्चा में आ गयीं. एक रिपोर्ट है वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा जारी इन्क्लुसिव डेवलपमेंट इंडेक्स-2017 और दूसरी रिपोर्ट है ऑक्सफैम रिपोर्ट. दोनों ही रिपोर्ट पूंजीवादी संस्थाओं द्वारा जारी की गयी हैं. इन रिपोर्टों को पढ़ने से साफ झलकता है कि...

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दोहरे प्रयासों से तेज होगा विकास - डॉ जयंतीलाल भंडारी

बीते सोमवार को जीएसटी कौंसिल की बैठक के बाद आगामी एक जुलाई से इस एकीकृत परोक्ष कर प्रणाली को लागू करने की बात कही गई है। चूंकि नोटबंदी के बाद सरकार देश की अर्थव्यवस्था को कैशलेस बनाने की ओर अग्रसर है, ऐसे में एक जुलाई से जीएसटी की शुरुआत मददगार होगी। साथ ही जीएसटी की तिथि व दरें सुनिश्चित हो जाने के कारण आगामी बजट में अप्रत्यक्ष कर का अनुमान...

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ऐसे तो नहीं रुकेंगी किसानों की आत्महत्याएं -- के सी त्यागी

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2014-2015 के दौरान आत्महत्या के मामलों में 42 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 में 5,650 किसानों द्वारा आत्महत्या की गई थी, जो वर्ष 2015 में बढ़कर 8,007 तक पहुंच गई। तस्वीर इतनी भयानक तब है, जब इस श्रेणी से कृषि मजदूरों द्वारा की गई आत्महत्या की संख्या बाहर रखी गई है। वर्ष 2014 में कुल 6,710...

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