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आर्थिक असमानता लोगों को मजबूर कर रही है कि वे बीमार तो हों पर इलाज न करा पाएं- सचिन जैन

दुनिया में जितनी आर्थिक और संसाधनों की असमानता बढ़ी है, उसमें सबसे ऊंचा स्थान भारत का है. विश्व असमानता रिपोर्ट (वर्ल्ड इनइक्वालिटी रिपोर्ट 2018) के अनुसार, चीन में 1 प्रतिशत संपन्न लोगों के नियंत्रण में 13.19 प्रतिशत संपदा, जर्मनी में 13 प्रतिशत, फ्रांस में 10.8 प्रतिशत और अमेरिका में 15.7 प्रतिशत संपदा थी; जबकि भारत में 1 प्रतिशत लोगों के नियंत्रण में 22 प्रतिशत संपदा जा चुकी है. यह महज़ आंकड़ों...

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दिल्ली में 80 प्रतिशत से अधिक निजी स्कूल नहीं लागू कर रहे शिक्षा का अधिकार कानून: रिपोर्ट

नयी दिल्ली: एक नई रिपोर्ट में बुधवार को दावा किया गया है कि दिल्ली में 80 प्रतिशत से अधिक निजी स्कूल शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून को लागू करने में सहभागी नहीं हैं और वे आर्थिक रूप से कमजोर तबके (ईडब्ल्यूएस) के बच्चों के लिए 25 प्रतिशत सीटें भी आरक्षित नहीं कर रहे हैं. ‘ब्राइट स्पोर्ट्स: स्टेटस ऑफ सोशल इन्क्लूज़न थ्रू आरटीई' शीर्षक वाली यह रिपोर्ट एक सर्वेक्षण पर आधारित है,...

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रोज़गार आंकड़ों पर किरकिरी के बाद दोबारा सर्वेक्षण की तैयारी में केंद्र सरकार

नई दिल्ली : केंद्र सरकार रोजगार पर नया राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस) कराएगी. प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के प्रमुख बिबेक देबरॉय ने कहा कि इस नए सर्वेक्षण से देश में पर्याप्त रोजगार सृजन का पता चलेगा. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के फेसबुक पेज पर डाली गई एक वीडियो क्लिप में देबरॉय कह रहे हैं कि नौकरियां, रोजगार कारोबारी माहौल का एक बड़ा हिस्सा राज्यों के दायरे में आता...

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प्राथमिक शिक्षा : तीन सालों में डेढ़ गुणा से ज्यादा बढ़ी है ड्रॉपआउट रेट

छब्बीस जनवरी की परेड में रंग-बिरंगे कपड़ों में हिस्सेदारी करते स्कूली बच्चों की तस्वीरें जब आप टेलीविजन पर देख रहे होंगे तो देश में प्राथमिक स्तर की शिक्षा के हालात बयान करती दो नई रिपोर्टस् सार्वजनिक जनपद में आ चुकी हैं. प्राथमिक स्तर की शिक्षा के सार्वीकरण के मोर्चे पर एक रिपोर्ट से अच्छी खबर निकलती है तो दूसरी रिपोर्ट से निकलते संकेत खतरे की घंटी हैं.   इस न्यूज एलर्ट में...

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आर्थिक उन्नति में सब हों हिस्सेदार-- कार्तिक मुरलीधरन

भारत में केंद्र और राज्य सरकार अपने लोक-कल्याण कार्यक्रमों पर काफी ज्यादा खर्च करती हैं, लेकिन इन कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में कई कमजोरियां हैं। प्रशासनिक लागत, लीकेज (रिसाव) और लाभार्थियों की पहचान में गलतियों को जोड़कर सरकारी आंकड़े खुद बताते हैं कि योजनाओं पर खर्च होने वाली रकम का बड़ा हिस्सा लाभार्थियों तक नहीं पहुंचता है। कई प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने यह सुझाव दिया है कि भारत में गरीबी कम करने की...

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