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स्मार्ट क्लासरूम, स्मार्ट बच्चे

जागरण प्रतिनिधि, शिमला : हिमाचल में चयनित उच्च विद्यालयों व वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों के बच्चे स्मार्ट क्लासरूम में आईसीटी यानी इन्फार्मेशन कम्यूनिकेशन टेक्नीक सीखकर पहले से भी अधिक स्मार्ट होकर निकलेंगे। तेजी से बदलते समय में सूचना तकनीक के हर पहलू से परिचित होना आवश्यक बन गया है। समय की इस मांग को देखते हुए हिमाचल प्रदेश के उच्च विद्यालयों और वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में आईसीटी परियोजना शुरू की जा रही है। इसके तहत स्मार्ट क्लासरूम...

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साढ़े चार हजार स्कूलों में बच्चे बजाते हैं घंटी!

सीकर. राज्य की साढ़े चार हजार स्कूलों में बच्चे घंटी बजाने और सफाई का कार्य कर रहे हैं। यह स्थिति इसलिए है, क्योंकि प्रदेश की चार हजार 529 माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्कूलों में सहायक कर्मचारी का पद स्वीकृत नहीं है। इसी वजह से, सरकारी स्कूलों में घंटी बजाने, स्कूल की सफाई व वजनी सामान उठाने का कार्य बच्चों से कराया जाता है। हालांकि कई स्कूलों में यह कार्य स्कूल विकास समिति के फंड से कर्मचारी...

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राज. के 10 लाख बच्चों ने नहीं देखा स्कूल

जयपुर. देशभर में गुरुवार से बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार अनिवार्य भले ही हो गया हो, लेकिन राजस्थान में स्कूली शिक्षा की तस्वीर बेहद धुंधली है। राज्य सरकार की मानें तो यहां के 10 लाख बच्चे अब भी शिक्षा से दूर हैं। जनसंख्या आंकड़े तो इस संख्या को कहीं ज्यादा बताते हैं। केंद्रीय सहायता से राज्य सरकार शिक्षा का ढांचा बेहद मजबूत करेगी। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सुभाष गर्ग कहते हैं, शिक्षा का...

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न्याय:कितना दूर-कितना पास

  खास बात  • साल २००९ के अप्रैल महीने तक सर्वोच्च न्यायालय में लंबित मुकदमों की संख्या ५०१४८ थी। केसों के निपटारे की गति बढ़ी है मगर शिकायतों के आने की गति और जजों की संख्या केसों के आने की गति की तुलना में अपर्याप्त साबित हो रही है।*  • दो साल पहले यानी साल २००७ के जनवरी महीने में सुप्रीम कोर्ट में लंबित केसों की संख्या ३९७८० थी। सुप्रीम कोर्ट लंबित केसों के निपटारे में तेजी लाने असहाय महसूस...

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खेतिहर संकट

खास बात · घाटे का सौदा जानकर तकरीबन २७ फीसदी किसान खेती करना नापसंद करते हैं। कुल किसानों में ४० फीसदी का मानना है कि विकल्प हो तो वे खेती छोड़कर कोई और धंधा करना पसंद करेंगे। # पिछले चार दशकों में भूस्वामित्व की ईकाइ का आकार ६० फीसदी घटा है। साल १९६०-६१ में भूस्वामित्व की ईकाइ का औसत आकार २.३ हेक्टेयर था जो साल २००२-०३ में घटकर १.०६ हेक्टेयर रह गया।" · पंजाब...

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