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कोविड महामारी ने पहले से हाशिये पर पड़े एलजीबीटीक्यूआई+ समुदाय की पीड़ा को और बढ़ाया है

-द वायर, अभिजीत केरल के तिरुवनंतपुरम में बतौर रेडियो जॉकी काम कर रहे थे जब बीते वर्ष मार्च में कोविड-19 महामारी ने भारत में दस्तक दी थी, जिसने सरकार को देशव्यापी लॉकडाउन लगाने के लिए प्रेरित किया था. लॉकडाउन के चलते अभिजीत अपने घर ग्रामीण पत्तनमतिट्टा जिला लौट आए, जहां उनके माता-पिता एक संयुक्त परिवार में दादा-दादी, चाचा और चचेरे भाइयों के साथ रहते हैं. होमोफोबिक रिश्तेदार और चचेरे भाई-बहनों के साथ...

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कंपनियों ने कॉम्प्लेक्स उर्वरकों के दाम बढ़ाये, एनपीके का बैग डीएपी से 500 रुपये महंगा हुआ

-रूरल वॉइस, बी सीजन की बुवाई के समय किसानों को झटका देते हुए उर्वरक उत्पादक कंपनियों ने एनपीके समेत कई कॉम्पलेक्स उर्वरकों के दामों में 500 रुपये प्रति बैग (50 किलो) से  अधिक तक की बढ़ोतरी कर दी है। इसके चलते नाइट्रोजन, फॉस्फेट और पोटाश (एनपीके) के काम्प्लेक्स उर्वरक की कीमतें 1750 रुपये प्रति बैग पहुंच गई हैं। सरकारी उर्वरक कंपनी नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड (एनएफएल) और सहकारी संस्था कृभको का एनपीके...

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आधार की सीमाओं काे भुलाया जा रहा है, वोटर कार्ड को आधार से जोड़ने पर फायदा होगा या नुकसान

-दैनिक भास्कर, चार साल पहले 24 अगस्त 2017 को और फिर 26 सितंबर 2018 को सर्वोच्च न्यायालय की 9 और 5 न्यायाधीशों की पीठ ने ऐतिहासिक निर्णय दिए। 2017 का निर्णय निजता के अधिकार पर था, जिस पर सवाल उठा था आधार के संदर्भ में। पांच जजों में से एक ने आधार को असंवैधानिक बताया, लेकिन बाकियों ने इसके इस्तेमाल की सीमाएं रेखांकित कीं। पिछले 3 सालों का अनुभव यह है...

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गुजरात सरकार का तौकते राहत पैकेज प्रवासी मछुआरों की वास्तविकताओं से परे है

-द वायर, मई के महीने में भारत के कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से गुजरते तौकते चक्रवात ने गुजरात में तबाही मचा दी थी. राज्य के मत्स्य व्यवसाय को इसके चलते अनुमानतः 160 करोड़ रुपये का भारी नुकसान झेलना पड़ा. हालांकि विशेषज्ञों का अनुमान है कि असल नुकसान इससे कई गुना ज्यादा है. गुजरात सरकार द्वारा मछुआरों के साथ-साथ उनकी नावों एवं उपकरणों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए 105 करोड़ रुपये का...

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हिंदी में रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों के लिए फ़ेलोशिप

पत्रकार की ज़िम्मेदारी है कि वह समाज में हो रहे बदलावों और उथल-पुथल पर बारीक नज़र रखें. घटनाओं की रिपोर्टिंग करने के साथ-साथ उसकी तह तक पहुंचे. तहकीक़ात करें. जनता के मुद्दों और समावेशी लोकतंत्र के ज़रूरी विषयों को टटोलें. नागरिक अधिकार, मानवाधिकार और मौलिक अधिकार जैसे सवालों पर चौकस रहे. सरकार की नाकामियों को शिद्दत के साथ उजागर करें. सवाल करें. स्वास्थ्य, खेती-किसानी और राजनीति से लेकर पर्यावरण के...

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