एक साल के दरम्यान खेती-किसानी के काम में लगे लोगों की आत्महत्या घटनाओं में 9.8 फीसद की कमी आई है- क्या इस तथ्य को खेती-किसानी की हालत में सुधार का संकेत मानें ? यह तथ्य केंद्रीय कृषि मंत्रालय के राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रौतेला के एक जवाब के जरिए सामने आया है. बजट-सत्र के दौरान राज्यमंत्री ने 20 मार्च को एक प्रश्न(संख्या-4111) के जवाब में संसद में बताया कि साल 2015 में खेती-किसानी से जुड़े 12602 लोगों...
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जल संकट के लिए तैयार रहें-- आशुतोष चतुर्वेदी
र्मी शुरू हो गयी है. हम सब जानते हैं कि हर साल की तरह हमारे गांव, कस्बे और शहर पानी की कमी से जूझेंगे. लेकिन, इस विषय में हम तभी सोचते हैं, जब समस्या हमारे सिर पर आ खड़ी होती है. न तो सरकारों की ओर से कोई ठोस पहल होती है और न ही समाज की ओर से कोई अभियान छेड़ा जाता है. समस्या केवल कम बारिश की नहीं...
More »प्राकृतिक आपदा से खेती-बाड़ी को कितना होता है नुकसान..पढ़ें इस नई रिपोर्ट में
एक नई रिपोर्ट के मुताबिक विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था को बीते दस सालों(2005 से 2015) के बीच प्राकृतिक आपदा से हुए फसल के नुकसान तथा पशुधन-उत्पादन में आयी कमी की वजह से 96 अरब डॉलर का घाटा उठाना पड़ा है. द इम्पैक्ट ऑफ डिजॉस्टर एंड क्राइसिज ऑन एग्रीकल्चर एंड फूड सिक्युरिटी शीर्षक यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र की संस्था फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गनाइजेशन(एफएओ) का एक शोध-अध्ययन है. खाद्य सुरक्षा तथा कृषि पर प्राकृतिक आपदा के प्रभाव...
More »ताकि अगली पीढ़ी को भी पानी मिले-- एम वेंकैया नायडू
ब्रिटिश कवि सैम्युअल टेलर कॉलरिज की कविता द राइम ऑफ द एनसिएंट मरीनर में एक पंक्ति है वाटर, वाटर एव्रीवेयर, नॉर एनी ड्रॉप टु ड्रिंक यानी पानी तो हर जगह है, पर एक बूंद भी पीने के काबिल नहीं। करीब दो सदी पहले इन शब्दों को रचते हुए सैम्युअल क्या आने वाले वर्षों की भविष्यवाणी कर रहे थे? क्या वह जाने-अनजाने उस जल संकट का कयास लगा रहे...
More »केपटाउन कहीं भी दस्तक दे सकता है -- अनिल प्रकाश जोशी
दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन की जल त्रासदी चौंकाने से ज्यादा डराने वाली है। यह दुनिया के बेहतरीन शहरों में से एक माना जाता है और हमेशा अपनी खूबसूरती के लिए चर्चा में रहा है। लेकिन आज केपटाउन दूसरी वजह से सुर्खियों में है। यहां पानी का संकट अपने चरम पर पहुंच चुका है। पिछले एक दशक से वैसे भी यह शहर पानी की किल्लत से गुजर ही रहा था और...
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