यह उन लोगों की कहानियां हैं, जो आजादी, इंसाफ और शांति के साथ जीना चाहते हैं. अपने गांव में खेतों में उगती हुई फसल, अपने जानवरों, अपनी छोटी-सी दुकान और अपने छोटे-से परिवार के साथ एक खुशहाल जिंदगी चाहते हैं. लेकिन यह चाहना एक अपराध है. अमेरिका, दिल्ली और रांची में बैठे हुक्मरानों ने इसे संविधान, जनतंत्र और विकास के खिलाफ एक अपराध घोषित कर रखा है. उनकी फौजें गांवों...
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टेमी फ्लू का डबल डोज भी बेअसर, स्वाइन फ्लू का आतंक
भोपाल। राजधानी में स्वाइन फ्लू से एक मरीज की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग की चिंता इस बात को लेकर बढ़ गई है कि मरीज पर दवा का असर नहीं हुआ है। यह केस सामने आने के बाद राज्य सरकार द्वारा गुरुवार को डॉक्टर्स व आम लोगों के लिए जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि यदि परिवार के किसी सदस्य को सर्दी, खांसी और बुखार है तो उसे सार्वजनिक स्थानों पर...
More »सरकारी स्कूलों पर दिए बयान से पलटे श्री श्री रविशंकर
लगातार हो रही अलोचनाओं और विरोध को देखते हुए आधात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर बुधवार को जयपुर में दिए गए अपने विवादास्पद बयान से पलट गए हैं। उन्होंने कहा है कि उनके बयान का यह मतलब नहीं था कि सभी सरकारी स्कूलों में नक्सली पैदा होते हैं। सरकारी स्कूलों में से कई महान प्रतिभाएं देश के सामने आई हैं। नक्सली क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों पर था बयान द आर्ट ऑफ लिविंग के...
More »एक सच के साथ तीन झूठ - सुनील
पिछले बीस सालों से विदेशी पूंजी की खुशामद में जन-हित और राष्ट्र-हित की बलि चढ़ाई जा रही है. भारत की सरकारें अमेरिका-यूरोप के बहुराष्ट्रीय हितों के दलालों की तरह बर्ताव कर रही है. खुदरा व्यापार में विदेशी कंपनियों को इजाजत देने पर हुए विवाद पर सफ़ाई में प्रधानमंत्री ने कहा कि फ़ैसला बहुत सोच-समझ कर लिया गया है. प्रधानमंत्री की इस बात में सच्चाई है. यह कोई एकाएक लिया फ़ैसला नहीं है....
More »भ्रष्टाचार के रास्ते- कुमार प्रशांत
जनसत्ता 13 दिसंबर, 2011: जयप्रकाश नारायण ने 1974 में, जब वे कई सारे सवालों के साथ-साथ भ्रष्टाचार का भी सवाल उठा कर सारे देश में आंदोलन खड़ा करने में लगे थे, एक गहरा और मार्मिक लेख लिखा था। इसका शीर्षक था:‘क्या नैतिक ताने-बाने के बिना भी कोई देश बना रह सकता है?’ इसमें उन्होंने मुख्य रूप से दो बातें कही थीं। एक,भ्रष्टाचार ऊपर से नीचे की तरफ चलता है। सत्ता-संपत्ति-अधिकार...
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