मैं महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में कृषि कार्य करता हूं. वहां 1975 से आज तक मैं खेती कर रहा हूं. 1960 के बाद जो खेती में व्यवस्थाएं प्रारंभ हुईं, वहीं से मैंने शुरु आत की थी. अब तक मुझे कृषि विज्ञान दो स्वरूपों में दिखा है. जब मैंने खेती प्रारंभ की तो उस समय परावलंबन का विज्ञान था. उस वक्त मैंने रासायनिक खाद, जहरीली दवाईयां और बाहर से बीज लाकर खेती...
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प्राकृतिक खेती से पटखनी खाती आधुनिक खेती- सुभाष शर्मा
मैं महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में कृषि कार्य करता हूं. वहां 1975 से आज तक मैं खेती कर रहा हूं. 1960 के बाद जो खेती में व्यवस्थाएं प्रारंभ हुईं, वहीं से मैंने शुरु आत की थी. अब तक मुझे कृषि विज्ञान दो स्वरूपों में दिखा है. जब मैंने खेती प्रारंभ की तो उस समय परावलंबन का विज्ञान था. उस वक्त मैंने रासायनिक खाद, जहरीली दवाईयां और बाहर से बीज लाकर खेती...
More »जंगल-जमीन बचाने के लिए सतपुड़ा में आंदोलन- बाबा मायाराम
इन दिनों सतपुड़ा के जंगलों के आदिवासी आंदोलित हैं। इसकी एक झलक होशंगाबाद में जब दिखाई दी तब आदिवासियों के जोशीले नारों से यहां की गलियां गूंज उठीं। दूरदराज के गांवों से सैकड़ों की तादाद में यहां आकर आदिवासियों ने जता दिया कि शेर पालने के नाम पर उनकी रोजी-रोटी पर लगाई जा रही रोक उन्हें मंजूर नहीं है। इसका पूरी ताकत से विरोेध किया जाएगा। इस जुलूस का फौरी असर...
More »जीएम फसलों पर खास सतर्कता जरूरी: विशेषज्ञ
लेकिन भारतीय संगठन एनबीपीजीआर ने जैव विविधता को लाभदायक बताया कुछ देशों में कॉटन और मक्का की जेनेटिकली मॉडीफाइड (जीएम) फसलों का पर्यावरणीय प्रभाव पडऩे की आशंकाओं के बीच रोम स्थित कृषि अनुसंधान संगठन बायोवर्सिटी इंटरनेशनल ने कहा है कि खाद्य सुरक्षा हासिल करने के लिए ऐसी परिष्कृत फसलों की खेती के लिए अनुमति देते...
More »एकाधिकार तोड़ता मंत्रोच्चार- निराला की रिपोर्ट(तहलका)
‘मैं ख्याति. जयपुर की रहने वाली, 11वीं कक्षा में हूं. संस्कृत को सबसे सामर्थ्यवान भाषा मानती हूं. भारतीय संस्कृति को सर्वश्रेष्ठ संस्कृति.’ सिर्फ नाम पूछने पर इतनी बातें बताती है ख्याति. फिर तुरंत ही शुरू हो जाती है. किसी टोक-टोक या सवाल की गुंजाइश छोड़े बगैर. आगे कहती है, ‘भईयाजी, आपने बहुत मंदिर देखे होंगे, लेकिन अब आप देश ही नहीं, दुनिया का अनोखा मंदिर देखेंगे. पाणिनी मंदिर नाम है...
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