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क्या मोदी सरकार के आर्थिक पैकेज में बैठ चुकी अर्थव्यवस्था को खड़ा करने का दम है?

-सत्याग्रह, मोदी सरकार ने 20 लाख करोड़ रु के आर्थिक पैकेज से जुड़ी घोषणाओं का ब्योरा निपटाया ही था कि चर्चित अंतरराष्ट्रीय एजेंसी गोल्डमैन सैक्स बुरी खबर लेकर आ गई है. उसका कहना है कि भारत अब तक की सबसे बड़ी मंदी का सामना करने वाला है. गोल्डमैन सैक्स का अनुमान है कि इस वित्तीय वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर में पांच फीसदी की गिरावट आएगी. गोल्डमैन सैक्स ने अपने...

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बीतते दिनों के साथ लॉकडाउन से धीरे-धीरे बाहर निकलता भारत

-न्यूजक्लिक, 18 मई को कोविड-19 को लेकर पूरे भारत में लागू होने वाले केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी राष्ट्रीय निर्देश एक निर्धारिक पल को चिह्नित करते हैं। देश ने सफलतापूर्वक एक चुनौतीपूर्ण अवधि से पार पा लिया है। चीनी दार्शनिक कन्फ़्यूशियस ने एक बार कहा था, "कामयाबी पिछली तैयारी पर निर्भर करती है, और इस तरह की तैयारी के बिना नाकाम होना तय होता है।" आख़िरी चरण में प्रवेश कर रहे राष्ट्रव्यापी...

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प्रवासी मजदूर : नए दौर के नए अछूत

ग्रामीण क्षेत्रों में रिपोर्टिंग करते समय मुझे बहुत से ऐसे प्रवासी मजदूर मिले हैं, जो अक्सर कहते हैं, “परेशान होकर हम शहरों में आए हैं। हम गांव में थोपी गई जाति व्यवस्था के कारण अपना घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं।” ऐसा नहीं है कि केवल गांव ही “महान भारतीय जाति व्यवस्था” का पालन करते हैं, लेकिन इस व्यवस्था से सबसे अधिक पीड़ित वे गरीब हैं जो जाति के सबसे निचले...

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महान दार्शनिक जिद्दू कृष्णमूर्ति राष्ट्रवाद और धर्म को मनुष्यता के लिए खतरा क्यों मानते थे?

-सत्याग्रह, अंग्रेजी के मशहूर साहित्यकार टीएस इलियट ने भारतीय दार्शनिकों के बारे में कहा था, ‘महान भारतीय दार्शनिकों के सामने पश्चिम के दार्शनिक किसी स्कूल के बच्चों की मानिंद नज़र आते हैं.’ यह बात अगर बीती सदी पर लागू करें तो जिद्दू कृष्णमूर्ति बिलकुल इसी कड़ी का हिस्सा लगते हैं. हां, यह अलग बात है कि वे ‘राष्ट्रीय पहचान’ को नकारते थे! कृष्णमूर्ति ने जिस तरह स्थापित परंपराओं को किनारे कर...

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हाल-फिलहाल में जारी हुई अधिकांश रिपोर्टें बता रही हैं कि अर्थव्यवस्था का पहिया थमने वाला है!

अंतरराष्ट्रीय थिंक टैंक, आधिकारिक एजेंसियों और निजी संस्थाओं द्वारा जारी की गईं अधिकांश रिपोर्टें और अध्ययन कोरोनवायरस महामारी से अर्थव्यवस्था और समाज पर पड़ने वाले प्रलयकारी प्रभावों की तरफ इशारा करते हैं. उनका अनुमान है कि दुनिया भर के विभिन्न देशों द्वारा COVID -19 (यानी सोशल डिस्टेंसिंग और क्वॉरंटीन) को कम करने के लिए लगाए गए लॉकडाउन आर्थिक क्षेत्रों से संबंधित आर्थिक विकास को प्रभावित करेंगे और अधिकांश क्षेत्रों में...

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