अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में आयोजित विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की ग्यारहवीं मंत्रिस्तरीय बैठक बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई। इसमें हिस्सा ले रहे देश खाद्य व कृषि सबसिडी को लेकर आम राय नहीं बना सके। क्योंकि अमेरिका व अन्य विकसित देश बहुपक्षीय व्यापार संस्था के सदस्यों द्वारा सार्वजनिक खाद्य भंडारण के मसले का स्थायी समाधान खोजने की अपनी प्रतिबद्धता से मुकर गए। भारत और उसके साथ खड़े डब्ल्यूटीओ...
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शेल कंपनी कथा दूसरी कड़ी : काले धन के खिलाफ जंग राजधर्म है-- हरिवंश
राजनीति विचारधारा या भावना से चलती है और अर्थनीति शुद्ध स्वार्थ की नीितयों से. पिछले 60-70 वर्षों में एक तरफ राजनीति में भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक जंग की बात भारत में बार-बार हुई, तो दूसरी तरफ भ्रष्ट ताकतों ने आर्थिक नियमों, कंपनी कानूनों को ऐसा बनाया कि भ्रष्टाचार की जड़ें लगातार मजबूत होती गयीं. शेल कंपनियां ऐसे ही कंपनी कानूनों की उपज हैं, पर आश्चर्य यह है कि 60-70 वर्षों...
More »पर्यावरण संरक्षण की मुश्किलें-- पंकज चतुर्वेदी
जिस तरह देश की आबादी बढ़ रही है, हरियाली और खेत कम हो रहे हैं, जल-स्रोतों का रीतापन बढ़ रहा है, हम हर दिन वनस्पति और जंतुओं की किसी न किसी प्रजाति को सदा के लिए खो रहे हैं, खेत और घर में जहरीले रसायनों का इस्तेमाल बढ़ रहा है, भीषण गरमी से जूझने में वातानुकूलित यंत्र और अन्य भौतिक सुखों की पूर्ति के लिए बिजली का इस्तेमाल बढ़ रहा...
More »ऑटोमेशन से बदलेगी भारत में खेती की तस्वीर
विकसित देशों के मुकाबले भारत में अधिकतर फसलों की पैदावार प्रति एकड़ काफी कम है. इसका एक बड़ा कारण खेती में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल अब तक बहुत कम होना है. विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय कृषि क्षेत्र में यदि आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाये, तो फसलों की पैदावार में व्यापक पैमाने पर बढ़ोतरी हो सकती है. सेंसर, अॉटोमेशन और इंजीनियरिंग की अनेक विधाओं का इस्तेमाल करते...
More »सस्ते आयात से दुश्चक्र में किसान-- रमेश कुमार दूबे
हाल ही में जारी अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति शोध संस्थान (आइएफपीआरआइ) के वैश्विक भूख सूचकांक में भारत पिछले साल की तुलना में तीन पायदान नीचे लुढ़क कर सौवें स्थान पर पहुंच गया। रिपोर्ट में इसके लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली और मध्यान्ह भोजन योजना में भ्रष्टाचार को जिम्मेदार ठहराया गया है लेकिन यह नहीं बताया गया है कि सस्ते आयात के कारण खेती घाटे का सौदा बनती जा रही है। गौरतलब है...
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