बहुत थोड़ी होती है पांच साल की अवधि फिर भी नरेगा की उपलब्धियां आवाक कर रही हैं। देश के सर्वाधिक गरीब में शुमार लोगों में से तकरीबन दस करोड़ ने बैंक या फिर पोस्ट-ऑफिस में बैंक अकाऊंट खोले हैं, लोग अपना अधिकार समझकर काम मांग रहे हैं, हजारों गांवों में कुएं-तालाब और ऐसे ही सामुदायिक इस्तेमाल के कई संसाधन तैयार हो रहे हैं, औरत हो या मर्द- दोनों को बराबर के काम के लिए बराबर की...
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नरेगा श्रमिकों को मिलेगा एरियर
जयपुर, जागरण संवाद केंद्र। महानरेगा के श्रमिकों के लिए अच्छी खबर है। न्यूनतम मजदूरी बढ़ने के बाद एक जनवरी से किसी श्रमिक को एक सौ रुपए का भुगतान होने पर शेष राशि बतौर एरियर दिए जाने के आदेश हुए हैं। केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से एक जनवरी से महानरेगा के तहत अकुशल शारीरिक श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी प्रति दिवस 119 रुपए कर दी गई है। ऐसे में...
More »बीच बहस में न्यूनतम मजदूरी
हालांकि केंद्र सरकार ने मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाले मजदूरी को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ने की बात मान ली है, फिर भी वह इस मामले में संविधानप्रदत्त न्यूनतम मजदूरी देने में संकोच कर रही है जबकि देश के कई सूबों में अब भी मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाली मजदूरी न्यूतम मजदूरी से कम है। सरकार का तर्क है कि न्यूनतम मजदूरी दी गई तो बढ़ा हुआ वित्तीय...
More »अब तकनीक के शिकंजे में मनरेगा
देहरादून, जागरण ब्यूरो। भविष्य में महात्मा गांधी नेशनल ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट 'मनरेगा' की प्रगति तकनीकी संजाल में फंस सकती है। केंद्र सरकार भविष्य में उन्हीं राज्यों को अगली किश्तें जारी करेगी जिनका एमआईएस अपडेट होगा। यह तभी संभव है जब ग्राम पंचायत स्तर पर ऑनलाइन फीडिंग की व्यवस्था हो, जो कम से कम साल भर तक उत्तराखंड में संभव नहीं है। केंद्र से 'मनरेगा' में पैसा नहीं मिलेगा...
More »मनरेगा- कहीं नरम , कहीं गरम
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना(मनरेगा) के बारे में ज्यादातर खबरें या तो उसमें व्याप्त भ्रष्टाचार की होती हैं या फिर योजना की कारआमली में हो रही ढिलाई की। सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में मनरेगा पर कुल 40 हजार करोड़ रुपये खर्च किए हैं लेकिन शहराती मध्यवर्ग का एक बड़ा तबका और जनमत-निर्माता इसी पसोपेस में हैं कि आखिर इन रुपयों से कुछ सार्थक हो भी रहा है या नहीं। नुक्ताचीनी की बातों...
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