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स्वास्थ्य की ‘जड़ें’ : हल्दी से तीन गुणा अधिक कमा रहा है यह किसान

-डाउन टू अर्थ, भारतीयों ने हल्दी की एंटीवायरल खूबियों के चलते वर्ष 2020 में इसका खासा सेवन किया, इसकी कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी के दौरान इसे फायदेमंद बताया जा रहा था।  खाना पकाने में इस्तेमाल के अलावा, लोगों ने काढ़े के रूप में इसका जमकर सेवन किया। लॉकडाउन के दौरान बाजार में शुद्ध शाकाहारी हल्दी के लैटेस से लेकर चिया टरमरिक कुकीज और डिटॉक्स चाय जैसे कई उत्पाद बढ़ गए हैं। हालांकि, हल्दी...

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"अब शहादत की बारी मेरी है," लखीमपुर के मृतक किसान लवप्रीत सिंह के पिता

-कारवां, 5 अक्टूबर की सुबह उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के चौकरा फार्म इलाके में भारी पुलिस बल की तैनाती के बीच एक घर के बाहर सैकड़ों की संख्या में लोग जमा हैं. दो दिन पहले लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में जान गंवान वाले सबसे कम उम्र के 20 वर्षीय लवप्रीत सिंह के दाह संस्कार के लिए यह भीड़ जमा हुई है. तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया के पास...

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महामारी के दौरान हमारी सरकार और पुलिसिया बर्ताव

-न्यूजलॉन्ड्री, किसी बड़ी महामारी के बीत जाने के बाद, उससे जुड़े कुछ दृश्य और घटनाएं लोक-चेतना में स्थाई निवास बुन लेते हैं. कोरोना की दो लहरों के दौरान हुई मीडिया कवरेज में प्रवासी मजदूरों की घर वापसी, जलती चिताएं, ऑक्सीजन सिलेंडर भरवाने के लिए भागते लोग, स्वास्थ्य व्यवस्थाएं, लोगों के साथ पुलिसिया बर्ताव और सरकारी विज्ञापनों की तस्वीरों और खबरों ने हमारे जेहन में स्थाई जगहें बनाई. भविष्य में जब भी...

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मुस्लिम-विरोध और हिंसा: वीएचपी की 10 पत्रिकाओं का लेखाजोखा

-न्यूजलॉन्ड्री, किताबें, अखबार और पत्रिकाएं जहरीली विचारधारा प्रसारित करने का सबसे महत्वपूर्ण हथियार है. सोवियत नेता जोसेफ स्टालिन ने एक बार कहा था, "किताबें अन्य सभी प्रचार माध्यमों से मुख्य रूप से भिन्न होती हैं क्योंकि एक पुस्तक किसी भी अन्य माध्यम से ज्यादा, पाठक के दृष्टिकोण को महत्वपूर्ण रूप से बदल सकती है." लगभग 1870 से 1918 तक भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के प्रारंभिक चरण में राजनीतिक प्रचार और शिक्षा, राष्ट्रवादी विचारधारा...

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तन मन जन: भारत में जनस्वास्थ्य और बच्चों की मौत

-जनपथ, आजकल उत्तर प्रदेश और बिहार से वायरल बुखार के कारण बच्चों के मृत्यु की खबर है। दो सौ से ज्यादा बच्चे वायरल बुखार से मर चुके हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार के लगभग 25 जिले इस बुखार से बुरी तरह प्रभावित हैं। सरकारी अस्पतालों की हालत आज भी भरोसेमंद नहीं है। हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं और देश में जिला और प्रखण्ड स्तर में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था...

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