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कोविड-19 संक्रमण की आपराधिक जवाबदेही तबलीग़ी जमात के माथे ही क्यों है?

-द वायर,  कोविड-19 के बाद दुनिया पहली जैसी नहीं रहेगी. ऐसे में जबकि अपने अत्याधुनिक स्वास्थ्य ढांचे के बावजूद पश्चिम के विकसित देशों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा है. यह जाहिर है कि मानवता को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति से निपटने के नए तरीकों की खोज करनी होगी. ख़ासतौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका को इस बात का एहसास जरूर हो रहा होगा कि आतंकवाद के खिलाफ युद्ध पर इसके द्वारा...

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महामारी के बाद निवेश का पहिया, राजस्व की चरखी और रोजगारों की मशीन कैसे चलेगी

-इंडिया टूडे, ताली-थाली और दीया-मोमबत्ती से होते हुए कोविड लॉकडाउन का तीसरा सप्ताह आने तक केंद्र सरकार थकने-सी लगी थी. यही मौका था जब भारतीय संविधानसभा की वह जद्दोजेहद कारगर नजर आने लगी, जिसके तहत राज्यों को पर्याप्त शक्तियों से लैस किया गया था. आजादी के बाद सबसे बडे़ संकट में भारत के राज्य अमेरिका की तरह वहां के राष्ट्रपति का सिरदर्द नहीं बने थे बल्कि संघीय ढांचे की ताकत के...

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कोरोनाः स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले के दोषियों को अब होगी सात साल तक की सज़ा

-द वायर, केंद्र सरकार ने देशभर में स्वास्थ्यकर्मियों पर हो रहे हमलों के मद्देनजर बुधवार को एक अध्यादेश जारी किया, जिसके तहत अब दोषियों को सात साल तक की सजा हो सकती है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडे़कर ने कहा कि आज कैबिनेट बैठक में केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश पेश किया, जिसमें स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले के दोषियों को अधिकतम सात साल की सजा और पांच लाख...

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कोरोना वायरस: दुनिया भर में एक लाख 65 हज़ार लोग मरे, केवल अमरीका में 40 हज़ार से ज़्यादा मौतें

-बीबीसी,  दुनिया भर में कोरोना वायरस से संक्रमित होने वालों की संख्या 2,404,071 हो गई है और अब तक एक लाख 65 हज़ार 229 लोगों की मौत हुई है. -रविवार को अमरीका में मरने वालों की संख्या 40 हज़ार के पार चली गई. अमरीका में मरने वालों की तादाद पूरी दुनिया की लगभग एक तिहाई है. यहां संक्रमितों की कुल संख्या 760,000 हो गई है. -संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच अमरीकी राष्ट्रपति...

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यह बात बारहा सामने आई है कि कोरोना जैसी किसी भी महामारी से सर्वाधिक मौतें भारत में होंगी

-न्यूजलॉन्ड्री, इंडियन जर्नल फ़ॉर मेडिकल रीसर्च के मार्च 2018 के संस्करण में ललित कांत और उनके सहकर्मी रणदीप गुलेरिया ने एक लेख लिखा था. इसका शीर्षक था “पैंडेमिक फ़्लू 1918: आफ़्टर हंड्रेड ईयर इंडिया इज़ ऐज़ वल्नरेबल.” इस लेख का मुख्य बिंदु था कि हिंदुस्तान की स्वास्थ्य सेवाओं की जैसी जर्जर हालत है उसे देखते हुए अगर स्पैनिश इनफ़्लुएंज़ा जैसी कोई भी महामारी दुनियां में फैलती है तो विश्व में सर्वाधिक...

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