पटना : राज्य के सरकारी अौर निजी स्कूलों को यू-डायस कोड (यूनिफाइड डिस्ट्रिक इनफोरमेशन सिस्टम फोर एजुकेशन) लेना अनिवार्य है. बिना यू-डायस कोड के स्कूलों के अप्रशिक्षित शिक्षक 18 महीने के प्रशिक्षण के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं करा सकेंगे. इसके लिए बिहार शिक्षा परियोजना के राज्य परियोजना निदेशक संजय सिंह सभी जिलों के डीइओ को निर्देश दिया है कि अपने-अपने जिले के सभी सरकारी व निजी स्कूलों का यू-डायस...
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भिक्षाटन कर मुखिया ने स्कूल के लिए खरीदी जमीन
शिवाजीनगर (समस्तीपुर) : समस्तीपुर जिले के शिवाजीनगर के बल्लीपुर पंचायत में एक गांव है- गीदरगंज. पिछले दस वर्षों से यहां के बच्चे झोंपड़ी में चल रहे प्राथमिक विद्यालय में जमीन पर बैठ कर पढ़ने काे विवश हैं. ज्यादातर अल्पसंख्यक व महादलित समुदाय के बच्चे हैं. लेकिन, बल्लीपुर पंचायत के मुखिया विनोद मंडल की पहल से इन बच्चों के लिए अब स्कूल का इंतजाम होगा. दरअसल विनोद गांव में...
More »मिड डे मील मांगा, हेडमास्टर ने कहा, जहां जाना है जाओ, नहीं मिलेगा
मिड डे मील मांगने पर हेडमास्टर ने कहा, जहां जाना है जाओ, नहीं मिलेगा बक्सर : सदर प्रखंड के करहसी राजकीय बुनियादी मध्य विद्यालय के हेडमास्टर से सोमवार की दोपहर बच्चों ने मध्याह्न भोजन की मांग की. इस पर हेडमास्टर शंकर तिवारी ने बच्चों को डांट दिया और कहा कि जहां जाना है जाओ. मध्याह्न भोजन नहीं मिलेगा. यह सुनते ही विद्यालय के बच्चे आक्रोशित हो गये और थाली पीटते...
More »मैं निर्मल ग्राम हूं, खुले में शौच ‘मेरी परंपरा’
अनदेखी . कैथ गांव को 2010-11 में राष्ट्रपति भी कर चुके हैं सम्मािनत नीमाचांदपुरा : मैं निर्मल ग्राम कैथ हूं, मुझे निर्मल ग्राम का सौभाग्य प्राप्त है. स्वच्छ व निर्मल ग्राम के उपलक्ष्य में वर्ष 2010-11 में राष्ट्रपति भी सम्मानित कर चुके हैं, लेकिन, मैं इस सम्मान से खुश नहीं हूं, बल्कि अपने आपको शर्मिंदा महसूस कर रहा हूं, क्योंकि मैं निर्मल ग्राम की पात्रता पूरी नहीं कर पा रहा हूं. दर्द...
More »क्या ‘मिड डे मील’ शिक्षा में घुन है?-- मणीन्द्र ठाकुर
ग्रामीण विद्यालयों में शिक्षा की हालत कैसी है? यदि आप इस सवाल को लेकर नीतिकारों के पास जायेंगे, तो लगेगा कि अब भारत को विश्वगुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता है. क्योंकि बिहार के गांवों में भी लगभग सौ फीसदी बच्चे विद्यालय जाने लगे हैं. लेकिन, धरातल पर कहानी कुछ और है. पिछले दिनों किसी गांव के एक विद्यालय में जाने का मौका मिला, जहां साठ-सत्तर के दशक तक...
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